कोठी नंबर 56, दिल्ली…इस पते से है शेख हसीना का खास कनेक्शन, बांग्लादेशी कोर्ट ने सुनाई है फांसी की सजा
1975 में भी शेख हसीना ने अपने पति के साथ भारत में शरण ली थी.
Sheikh Hasina extradition demand: बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेशी अदालत ने मौत की सजा सुनाई है. इस समय शेख हसीना ने भारत में शरण ली हुई है. ये पहली बार नहीं है, जब शेख हसीना को अपना देश छोड़कर भागना पड़ा हो. उनके जीवन में वे कई बार विपरीत परिस्थितियों का सामना कर चुकी हैं. 1975 में भी संकटों का सामना कर रहीं शेख हसीना को भारत में शरण लेनी पड़ी थी. कोठी नंबर 56, लाजपत नगर दिल्ली…कभी शेख हसीना का पता था.
पिता की हत्या के बाद भारत में ली थी शरण
ये समय साल 1975 का था. जब बांग्लादेश के संस्थापक और शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान की निर्मम हत्या कर दी गई. 15 अगस्त 1971 में बने बांग्लादेश के राष्ट्रपति के तौर पर उनका 4 साल ही बीता था, कि नरसंहार ने शेख मुजीबुर रहमान समेत उनके परिवार के 18 लोगों की जान ले ली. उस समय शेख हसीना अपने पति वाजिद मियां के साथ जर्मनी में थीं. ऐसे में उनके पास भारत में शरण लेना सबसे मुफीद था, क्योंकि भारत ने ही 1971 में बांग्लादेश की मदद की थी. इसलिए भारत आना उनके लिए महफूज था.
कोठी नंबर 56, लाजपत नगर दिल्ली में रुकीं थीं शेख हसीना
शेख हसीना ने 1975 में अपने पति वाजिद मियां के साथ राजधानी दिल्ली में शरण ली थी. लाजपत नगर की जिस कोठी नंबर 56 में उन्होंने शरण ली थी, वह कोठी आज भी वहां मौजूद है. लेकिन अब उसकी पहचान बदल चुकी है. अब यहां होटल डिप्लोमैट रिजैंसी चल रहा है.
78 साल की शेख हसीना को बांग्लादेश की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है. अभी उन्होंने भारत में शरण ली हुई है. बांग्लादेश में हिंसक आंदोलन के चलते उन्हें एक साल पहले भारत में शरण लेनी पड़ी थी. शेख हसीना का जीवन हमेशा से ही उतार-चढ़ाव भरा रहा है.
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