‘आज भी अंतरिक्ष से भारत सारे जहां से अच्छा दिखता है…’, Axiom-4 मिशन से लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने क्या-क्या कहा?

Captain Shubhanshu Shukla: इसरो अध्यक्ष वी नारायणन के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में अंतरिक्ष यात्री शुक्ला ने अपने अंतरिक्ष मिशन के अनुभवों के बारे में जानकारी भी दी. उन्होंने बताया कि भारत अंतरिक्ष से भी सारे जहां से अच्छा दिखता है.
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Axiom-4 मिशन से लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला

Shubhanshu Shukla: गुरुवार, 21 अगस्त को ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर सफल मिशन के बाद राष्ट्रीय राजधानी में अपना अनुभव साझा किया. दिल्ली में अपने अनुभव को साझा करते हुए शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से भारत के नज़ारे को लेकर बात की. इसरो अध्यक्ष वी नारायणन के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में अंतरिक्ष यात्री शुक्ला ने अपने अंतरिक्ष मिशन के अनुभवों के बारे में जानकारी भी दी. उन्होंने बताया कि भारत अंतरिक्ष से भी सारे जहां से अच्छा दिखता है.

‘अंतरिक्ष से भी भारत सबसे अच्छा’

इसके बाद अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर मिशन का प्रत्यक्ष अनुभव अमूल्य है और किसी भी प्रशिक्षण से कहीं बेहतर है. शुभांशु शुक्ला ने कहा- ‘भारत आज भी अंतरिक्ष से सारे जहां से अच्छा दिखता है. जय हिंद, जय भारत.’ उन्होंने आगे कहा- ‘मैं भारत सरकार, ISRO और अपने सहयोगियों का धन्यवाद करना चाहता हूं. हम फाल्कन 9 व्हीकल के ऊपर उड़ान भर रहे थे. क्रू ड्रैगन उन तीन व्हीकल में से एक है जो इंसानों को अंतरिक्ष में ले जा सकता है. इस मिशन में मेरा काम मिशन पायलट का था. क्रू ड्रैगन में चार सीटें होती हैं. मैं मिशन पायलट था और मुझे कमांडर के साथ काम करना था और क्रू ड्रैगन के सिस्टम के साथ बातचीत करनी थी. हमें भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा परिकल्पित, विकसित और कार्यान्वित किए गए प्रयोगों को अंजाम देना था. साथ ही STEM प्रदर्शन भी करने थे, तस्वीरें और वीडियोग्राफी भी करनी थी.’

‘गुरुत्वाकर्षण में रहना भूल गया’

Axiom-4 मिशन पर ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा- ‘मानव अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने का फ़ायदा सिर्फ़ प्रशिक्षण से कहीं ज़्यादा है. वहां रहकर हमें जो अतिरिक्त ज्ञान मिलता है, वह अमूल्य है. पिछले एक साल में मैंने जो भी जानकारी इकट्ठा की है, वह हमारे अपने मिशनों, गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए बेहद उपयोगी होगी. बहुत जल्द हम अपने कैप्सूल से, अपने रॉकेट से और अपनी धरती से किसी को अंतरिक्ष में भेजेंगे. यह अनुभव ज़मीन पर सीखे गए अनुभव से बहुत अलग होता है. शरीर कई बदलावों से गुज़रता है. अंतरिक्ष में 20 दिन बिताने के बाद शरीर गुरुत्वाकर्षण में रहना भूल जाता है.’

2-3 महीनों में लॉन्च होगा सैटेलाइट

ISRO के अध्यक्ष ने वी. नारायणन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पिछले 10 वर्षों में प्रगति अभूतपूर्व और तीव्र रही है. 2015 से 2025 तक पूरे किए गए मिशन 2005 से 2015 तक पूरे किए गए मिशनों की तुलना में लगभग दोगुने हैं. पिछले 6 महीनों के दौरान तीन महत्वपूर्ण मिशन पूरे किए गए हैं. Axiom-4 मिशन एक प्रतिष्ठित मिशन है. अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ले जाए गए और सुरक्षित वापस लाए गए पहले भारतीय शुभांशु शुक्ला हैं.

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ISRO अध्यक्ष ने आगे कहा- ‘GSLV-F16 रॉकेट ने 30 जुलाई को सबसे प्रतिष्ठित NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार को सटीक रूप से स्थापित किया. अगले 2-3 महीनों में हम USA का 6500 किलोग्राम का संचार सैटेलाइट लॉन्च करेंगे, जिसे हमारे प्रक्षेपण वाहन का उपयोग करके प्रक्षेपित किया जाएगा.’

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