क्या राहुल संग यात्रा के बाद डैमेज कंट्रोल के लिए Bihar Adhikar Yatra पर निकले हैं Tejashwi Yadav?

Bihar Adhikar Yatra: राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा खत्म हुए अभी 15 दिन ही हुए हैं कि तेजस्वी यादव अकेले बिहार यात्रा पर निकल गए हैं.
Tejashwi Yadav

तेजस्वी यादव

Bihar Adhikar Yatra: वोटर अधिकार यात्रा के 15 दिन बाद ही तेजस्वी यादव अब बिहार अधिकार यात्रा (Bihar Adhikar Yatra) पर निकले हैं. मंगलवार 16 सितंबर से शुरू हुई है जो 20 सितंबर को 10 जिलों से होकर वैशाली में समाप्त होगी. लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इतनी बड़ी यात्रा के बाद फिर से तेजस्वी को यात्रा क्यों निकालने की जरूरत पड़ गई?

पार्टी के नेताओं को भेजा गया पत्र

तेजस्वी यादव ने मंगलवार 16 सितंबर को जहानाबाद से अपनी यात्रा का शुभारंभ कर दिया है. बिहार अधिकार यात्रा में राजद ने अपने संबंधित जिलों के पार्टी सांसद, विधायक, जिलाध्यक्ष और अन्य नेताओं को यात्रा में शामिल होने के लिए पत्र भेजा है. यात्रा के दौरान जिस भी विधानसभा क्षेत्र से गुजरेगी उस क्षेत्र की जनता से तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) सीधा जनसंवाद करेंगे.

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10 जिलों से होकर गुजरेगी यात्रा

तेजस्वी की बिहार अधिकार यात्रा 10 जिलों से होकर गुजरेगी. जिस दौरान तेजस्वी नालंदा, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर होते हुए वैशाली तक जाएंगे. इस दौरान तेजस्वी यादव नीतीश के गढ़ नालंदा, गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) के गढ़ बेगूसराय और पप्पू यादव (Pappu Yadav) के मधेपुर और सुपौल की भी यात्रा करेंगे. तेजस्वी यादव की यह यात्रा जिन-जिन जिलों से होकर गुजर रही है, वे इलाके भाजपा (BJP) और जदयू (JDU) के गढ़ माने जाते हैं. वहीं राजद का इन क्षेत्रों में पकड़ कमजोर रही है. इस यात्रा के माध्यम से तेजस्वी इन क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं.

तेजस्वी यादव को क्यों निकलनी पड़ी यात्रा?

राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा खत्म हुए अभी 15 दिन ही हुए हैं कि तेजस्वी यादव अकेले बिहार यात्रा पर निकल गए हैं. राहुल के साथ तेजस्वी ने वोटर अधिकार यात्रा में 1300 किलोमीटर का सफर तय किया है और अब तेजस्वी यादव अकेले दस जिलों की यात्रा पर निकल गए हैं.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो राहुल गांधी ने अपनी वोटर यात्रा से बिहार कांग्रेस में एक नई जान फूँक दी है. भले ही राहुल की यात्रा में तेजस्वी को प्रमुखता से जगह मिली. लेकिन जनता को अधिकांश ध्यान राहुल गांधी पर ही रहा है और यात्रा का सियासी लाभ राजद को कम, कांग्रेस को ज्यादा मिला है.

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आरजेडी के सहारे नहीं है, ऐसा कांग्रेस को लगने लगा

यात्रा के बाद से राहुल गांधी और कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं. सीट शेयरिंग से लेकर मुख्यमंत्री के चेहरे के सवाल पर अपनी मर्जी की बात रख रहे हैं. यात्रा के बाद से कांग्रेस यह बताने में लगी है कि बिहार में वो आरजेडी के सहारे नहीं है. बल्कि बिहार में उनका भी अपना जनधार और राजनीतिक कद है.

वहीं तेजस्वी यादव अकेले यात्रा पर निकलकर अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के हौसला बुलंद करने की कवायद कर रहे हैं. यही वजह है कि आरजेडी की तरफ से तेजस्वी की इस यात्रा के लिए सिर्फ पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को ही निमंत्रण भेजा गया है. तेजस्वी अकेले यात्रा निकालकर यह बताना चाहते हैं कि वह महागठबंधन के निर्विवाद नेता हैं और मुख्यमंत्री पद के रुप में जनता की पहली पसंद हैं.

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वोटर अधिकार यात्रा से तेजस्वी अपने मुद्दों से भटक गए

नीतीश कुमार से अलग होकर तेजस्वी यादव पलायन, रोजगार, किसान, नौकरी जैसे स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे हैं. जिसके कारण ही युवाओं में तेजस्वी की लोकप्रियता बढ़ती गई. लेकिन वोटर अधिकार यात्रा में इन मुद्दों को लेकर कोई जगह नहीं थी. शायद यही कारण रहा कि वोटर अधिकार यात्रा जनता से तेजस्वी को उतना नहीं जोड़ पाया. जिसके कारण तेजस्वी अब अपने पुराने मुद्दों को लेकर सीधे जनता के बीच पहुंच गए हैं. बिहार अधिकार यात्रा के दौरान तेजस्वी उन्हीं सब मुद्दों को लेकर फिर से बिहार की यात्रा पर निकले पड़े हैं.

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