‘वीर सावरकर को वह सम्मान नहीं मिला…’, गृह मंत्री अमित शाह का बड़ा बयान

Amit Shah On Veer Savarkar: सभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि वीर सावरकर को देश में अस्पृश्यता दूर करने के उनके प्रयासों के लिए कभी वह पहचान नहीं मिली, जिसके वे पात्र थे. उन्होंने अपने समय में हिंदू समाज के भीतर व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ साहसपूर्वक संघर्ष किया और समुदाय के विरोध के बावजूद आगे बढ़ते रहे.
Union Home Minister Amit Shah made a big statement, saying – Veer Savarkar did not get the recognition he deserved

अंडमान निकोबार में गृहमंत्री अमित शाह ने वीर सावरकर की मूर्ति का अनावरण किया

Amit Shah On Veer Savarkar: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार (12 दिसंबर) को अंडमान निकोबार द्वीप समूह के दौरे पर थे. यहां वे विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए. उन्होंने वीर सावरकर प्रतिमा का अनावरण भी किया. इस मौके पर सरसंघचालक मोहन भागवत मौजूद रहे. कार्यक्रम को गृह मंत्री ने संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की नींव रखी.

‘कुरीतियों के खिलाफ साहसपूर्वक संघर्ष किया’

सभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि वीर सावरकर को देश में अस्पृश्यता दूर करने के उनके प्रयासों के लिए कभी वह पहचान नहीं मिली, जिसके वे पात्र थे. उन्होंने अपने समय में हिंदू समाज के भीतर व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ साहसपूर्वक संघर्ष किया और समुदाय के विरोध के बावजूद आगे बढ़ते रहे.

उन्होंने आगे कहा कि मैंने उनका साहित्य ध्यान से पढ़ा है और आज भी यह तय नहीं कर पाता कि वे बेहतर कवि थे या लेखक क्योंकि वे दोनों ही रूपों में अद्वितीय थे. बाद में वे महान भाषाविद भी बने. उन्होंने कई नए शब्द गढ़कर भाषा को समृद्ध किया. ऐसे करीब 600 से ज्यादा शब्द सावरकर द्वारा निर्मित हैं.

‘सागरा प्राण तळमळला’ को 115 साल पूरे

‘सागरा प्राण तळमळला’ के 115 साल पूरे होने पर गृह मंत्री अमित शाह स्मरण कार्यक्रम में शामिल हुए. सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट करके उन्होंने लिखा कि वीर सावरकर द्वारा रचित ‘सागरा प्राण तळमळला’ मातृभूमि के प्रति असीम श्रद्धा और भक्ति की वह भावांजलि है, जिसका शब्दों में वर्णन करना असंभव है. मन में जन्मभूमि के प्रति लगाव को और भी गहरा, संवेदनशील व प्रगाढ़ बनाने वाले इस अमर गीत के 115 वर्ष पूर्ण होने पर आज अंडमान के श्री विजयपुरम में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित कार्यक्रम में सावरकर के व्यक्तित्व व कृतित्व को स्मरण किया.

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उन्होंने आगे लिखा कि भारतीय संस्कृति की महान यात्रा में जन्मभूमि के महत्त्व, उसके लिए त्याग व हजारों क्रांतिवीरों की स्वाधीनता की उत्कट अभिलाषा, इन सभी का सार ‘सागरा प्राण तळमळला’ युवाओं को अवश्य पढ़नी चाहिए और राष्ट्र के गौरव को और भी ऊँचाई देने का संकल्प लेना चाहिए.

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