क्रॉस वोटिंग ने बदला उपराष्ट्रपति चुनाव का गणित! राधाकृष्णन को मिले 452 वोटों में छिपी है असली कहानी

NDA CP Radhakrishnan: राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जो उनकी गठबंधन की उम्मीद से 14 अधिक थे, जबकि रेड्डी को 300 वोट मिले, जो उनके गठबंधन के 315 वोटों से 15 कम थे.
Vote Theft Allegations India

उप राष्ट्रपति चुनाव ने नतीजों से उठे विपक्षी एकता पर सवाल

Cross Voting in VP Election: 9 सितंबर को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन इंडिया ब्लॉक के बी सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से हराकर भारत के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए. राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जो उनकी गठबंधन की उम्मीद से 14 अधिक थे, जबकि रेड्डी को 300 वोट मिले, जो उनके गठबंधन के 315 वोटों से 15 कम थे. इस जीत के पीछे क्रॉस वोटिंग और 15 अवैध वोटों का गणित चर्चा का केंद्र बना हुआ है.

राधाकृष्णन को संख्याबल से ज्यादा वोट

NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में 452 वोट हासिल किए, जो उनके गठबंधन की अनुमानित ताकत 438 (427 एनडीए + 11 वाईएसआरसीपी) से 14 अधिक थे. दूसरी ओर, इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले, जो उनके 315 सांसदों के समर्थन से 15 कम थे. यह अंतर क्रॉस वोटिंग और अवैध वोटों की वजह से सामने आया.

कैसे हुआ यह संभव?  

NDA के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 134 सांसदों का समर्थन था, कुल 427 वोट. YSRCP के 11 सांसदों के समर्थन से यह संख्या 438 हो गई. राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, यानी 14 अतिरिक्त वोट. माना जा रहा है कि ये वोट विपक्षी सांसदों की क्रॉस वोटिंग और कुछ न्यूट्रल सांसदों के समर्थन से आए हैं. इंडिया ब्लॉक के 315 सांसदों में से 15 वोट कम मिले, जिसमें 5 वोट अवैध घोषित हुए और 10 वोट क्रॉस वोटिंग के कारण NDA के पक्ष में गए.

विपक्षी एकता में सेंध

उपराष्ट्रपति चुनाव में कोई व्हिप जारी नहीं होता, और गुप्त मतदान के कारण सांसद अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट दे सकते हैं. इस बार क्रॉस वोटिंग ने इंडिया ब्लॉक को बड़ा झटका दिया.  

किन सांसदों ने की क्रॉस वोटिंग?

माना जा रहा है कि महाराष्ट्र और झारखंड के कुछ विपक्षी सांसदों ने राधाकृष्णन के पक्ष में वोट दिया, क्योंकि वे इन राज्यों के पूर्व और वर्तमान राज्यपाल रहे हैं. खासकर, महाविकास अघाड़ी (MVA) के 13 सांसदों पर क्रॉस वोटिंग का आरोप लगा है.

बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने दावा किया कि करीब 40 विपक्षी सांसदों ने ‘अंतरात्मा की आवाज’ सुनकर राधाकृष्णन को वोट दिया. हालांकि, यह आंकड़ा अतिशयोक्तिपूर्ण माना जा रहा है. शिवसेना (UBT) के संजय राउत ने क्रॉस वोटिंग के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके सभी सांसदों ने रेड्डी को वोट दिया, और 15 अवैध वोटों में उनके गठबंधन के वोट शामिल थे.

अवैध वोटों का गणित

चुनाव में कुल 767 सांसदों ने मतदान किया, जिनमें से 752 वोट वैध और 15 अवैध घोषित हुए. 10 वोट NDA के और 5 वोट इंडिया ब्लॉक के अवैध हुए. वहीं कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन ने दावा किया कि इंडिया ब्लॉक के 12 वोट अवैध घोषित हुए, जबकि NDA के केवल 3 वोट अवैध थे,

न्यूट्रल सांसदों की भूमिका

कुल 39 सांसद न्यूट्रल थे, जिनमें से 14 ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया, जिसमें बीजेडी (7), बीआरएस (4), अकाली दल (1), और दो निर्दलीय (सरबजीत सिंह खालसा और अमृतपाल सिंह) शामिल थे. बचे 25 न्यूट्रल सांसदों में से कुछ ने राधाकृष्णन को वोट दिया होगा, जिससे उनके वोटों की संख्या बढ़ी.

राधाकृष्णन की जीत ने एनडीए की ताकत को मजबूत किया, लेकिन क्रॉस वोटिंग ने विपक्षी एकता पर सवाल उठाए. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि अतिरिक्त 25 वोट पीएम मोदी की नीतियों और नेतृत्व में विश्वास का प्रमाण हैं. 

वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि 40% वोट शेयर इंडिया ब्लॉक की नैतिक जीत है, जो 2022 के मुकाबले 14% अधिक है.

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मतदान प्रक्रिया और गणित

  • कुल मतदाता: संसद में 788 सीटों में से 7 खाली थीं, इसलिए 781 सांसद मतदान के पात्र थे. 767 ने वोट डाला, यानी 98.2% मतदान. वैध वोटों (752) को दो से विभाजित कर एक जोड़ा गया, यानी 376 वोटों की जरूरत थी. राधाकृष्णन ने यह आंकड़ा आसानी से पार किया. सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम के तहत गुप्त मतदान ने क्रॉस वोटिंग की संभावना बढ़ाई, क्योंकि व्हिप लागू नहीं होता.

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