यदुवंशी सेना, तेज सेना फिर लालू-राबड़ी मोर्चा…पार्टी से निकाले जाने के बाद अब क्या करेंगे तेज प्रताप?

बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में उसके कुछ महीनों पहले तेज प्रताप को राजद से निकाले जाने के बाद सियासी हलकों में कई तरह की चर्चाएं तेज हैं.
Tej Pratap Yadav

तेज प्रताप यादव

Tej Pratap Yadav: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) को पार्टी और परिवार से निकाला तो सियासी हलचल बढ़ गई. लालू प्रसाद यादव ने तेज प्रताप यादव को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित करने के साथ ही पारिवारिक स्तर पर भी उनसे नाता तोड़ने का फैसला कर लिया. तेज प्रताप ने अनुष्का यादव के साथ अपने रिश्ते को लेकर दो बार फेसबुक पर पोस्ट किया और फिर डिलीट किया था. वहीं एक बार एक्स पर भी पोस्ट किया. बाद में उन्होंने अकाउंट हैक होने का हवाला दिया था. लेकिन तब तक लालू यादव ने एक्स पर पोस्ट करके तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से बेदखल करने का ऐलान कर दिया. इसके बाद से तेज प्रताप के भविष्य को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.

बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में उसके कुछ महीनों पहले तेज प्रताप को राजद से निकाले जाने के बाद सियासी हलकों में कई तरह की चर्चाएं तेज हैं. कुछ लोगों का कहना है कि तेज प्रताप अलग पार्टी बना सकते हैं. दरअसल, इसके पीछे की वजहों पर गौर करें तो तेज प्रताप के लिए यह कदम उठाना हैरान नहीं करेगा क्योंकि पूर्व में भी वह राजद के समानांतर राजनीतिक दल खड़ा करने की कोशिश कर चुके हैं. ये अलग बात है कि न इसमें उन्हें कामयाबी मिली और ना ही राजद ने तेज प्रताप के इस कदम को ज्यादा तवज्जो दी.

क्या एक और मोर्चा बनाएंगे तेज प्रताप?

तेज प्रताप के लिए फिलहाल 6 साल तक राजद के दरवाजे बंद हैं. ऐसे में बिहार में होने वाले चुनाव के मद्देनजर क्या वे एक और संगठन खड़ा करने का रिस्क लेंगे? चूंकि, वे पहले भी ऐसे कदम उठा चुके हैं, लिहाजा सियासी हलकों में इस बात की चर्चा बेहद आम है कि वे एक बार फिर कोई संगठन खड़ा कर सकते हैं. लालू-राबड़ी मोर्चा, यदुवंशी सेना, तेज सेना से लेकर छात्र जनशक्ति परिषद और धर्म समर्थक सेवक संघ तक… तेज प्रताप ने हर बार कुछ न कुछ नया करने की कोशिश की, लेकिन इन संगठनों या मोर्चे को कभी वो बड़ी पहचान नहीं दे पाए.

अपनी लड़ाई लड़नी होगी

वैसे पार्टी बनाना ही उनके पास एकमात्र विकल्प नहीं है. लालू यादव के बिना तेज प्रताप की बिहार की सियासत में कोई खास हैसियत नहीं है. हालांकि, राजनीतिक पंडितों का मानना है कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आने वाले समय में तेज प्रताप को पार्टी में वापस बुलाया जा सकता है. ऐसे में तब तक तेज प्रताप को अपनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी.

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क्या निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे?

बिहार की महुआ सीट से पहली बार विधायक चुने गए तेज प्रताप महागठबंधन सरकार में मंत्री बने थे. तेज प्रताप अभी हसनपुर सीट से विधायक हैं. ऐसे में एक कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि अगर वे बागी हुए तो निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं. हसनपुर सीट पर राजद के उम्मीदवार तेज प्रताप ही थे और यहां से उन्होंने अगर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया तो फिर उनका पलड़ा भारी हो सकता है. हालांकि, इन तमाम कयासों के विपरीत अभी तेज प्रताप ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि उनका अगला राजनीतिक कदम क्या होगा. लेकिन, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि जिस तरह से लालू यादव ने उन्हें पार्टी और परिवार से बेदखल करने का फैसला किया, उसके बाद लोगों की सहानुभूति तेज प्रताप के साथ है.

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