Russia के हजारों किमी भीतर तक घुसकर हमला…यूक्रेन ने ड्रोन अटैक की परिभाषा ही बदल दी
रूस-यूक्रेन युद्ध
Russia Ukraine War: तीन साल से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यूक्रेन के कई शहर तबाह हो गए हैं. तीन सालों में रूसी सेना ने यूक्रेन के अंदर तक घुसकर हमला किया है जबकि रूस के बॉम्बर्स ने बम बरसाकर यूक्रेन को बर्बाद करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है. लेकिन, रविवार को यूक्रेन ने ऐसा पलटवार किया जिसे न केवल रूस बल्कि दुनिया के अन्य देशों को भी उम्मीद नहीं थी. यूक्रेन ने ड्रोन अटैक कर रूस के 40 से ज्यादा बम बरसाने वाले प्लेन को तबाह कर दिया और इस दौरान यूक्रेन के ड्रोन्स के निशाने पर रूस के 5 एयरबेस थे. हजारों किमी भीतर घुसकर रविवार को यूक्रेन के ड्रोन ने सिलसिलेवार तरीके से हमला कर रूस को तगड़ा झटका दिया है.
डेढ़ साल की तैयारी के बाद रूस को दिया तगड़ा जख्म
दरअसल, यूक्रेन ने रूस के खिलाफ इस ऑपरेशन का नाम Spider’s Web रखा था, जिसकी प्लानिंग में डेढ़ साल का समय लगा. इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए यूक्रेन ने फर्स्ट-पर्सन-व्यू (FPV) ड्रोन का इस्तेमाल किया. इन ड्रोन को ट्रकों में बने लकड़ी के मोबाइल केबिन्स में छिपा कर रूस में दाखिल कराया गया था. हमले के वक्त उन केबिन्स की छतों को रिमोट से खोला गया और ड्रोन सीधे रूसी बॉम्बर्स विमानों को निशाना बनाने के लिए उड़ गए. एक-एक करके रूस के 5 एयरबेस को ड्रोन ने तबाह कर दिया.
इस हमले की खास बात यह थी कि जिन बॉम्बर्स विमानों को रूस ने यूक्रेन की पहुंच से दूर 4000 किमी दूर रखा था, वहां भी ड्रोन पहुंच गए और विमानों को तबाह कर दिया. ये रूस पर हाल के वर्षों में सबसे बड़ा हमला था. यूक्रेन ने दावा किया कि हमले से रूस को 7 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ और कई लड़ाकू विमान तबाह हो गए.
पहले से बिल्कुल अलग था यह हमला
यूक्रेन ने जिस तरह से रूस पर हमला किया है, इसने मॉर्डन वारफेयर का पूरा तरीका ही बदल दिया है. यह आधुनिक युद्ध की छापामार कार्रवाइयों में से एक थी, जिसके लिए यूक्रेन पिछले 18 महीनों से तैयारी कर रहा था. यह यूक्रेन द्वारा अब तक किए गए हमलों से अलग था, जो सामान्यत: रात में बड़े फिक्स्ड-विंग ड्रोन से किए जाते थे और रूस की सीमा से सटे क्षेत्रों को टारगेट करते थे. लेकिन रविवार को अपने तरह के नए पैटर्न में यह हमला रूस को हैरान करने वाला था.
इस दफे दिन के समय हमले के लिए छोटे ड्रोन का इस्तेमाल किया गया और यह फ्रंटलाइन से बहुत दूर और रूसी क्षेत्र में काफी अंदर तक था. यूक्रेन से हजारों किलोमीटर दूर पूर्वी साइबेरिया के इरकुत्स्क प्रांत में यूक्रेन के ड्रोन उड़ते नजर आए. स्थानीय लोगों ने ट्रकों की छत से निकलने वाले छोटे क्वाडकॉप्टर ड्रोन और फिर पास के हवाई क्षेत्र की ओर उड़ने और उसके बाद निकलते धुएं के वीडियो बनाकर पोस्ट किए.
रूसी मोबाइल नेटवर्क से ही ड्रोन ने यूक्रेन को भेजे फुटेज
फर्स्ट-पर्सन व्यू ड्रोन (एफपीवी) साइज में काफी छोटे होते हैं और इनमें आगे की तरफ कैमरे लगे होते हैं, जो ऑपरेटर को लाइव वीडियो भेजते हैं. इससे ऑपरेटर को दूर से ही विमान की तरह सटीक उड़ान की जानकारी मिलती रहती है. द इकोनॉमिस्ट के मुताबिक, इन ड्रोन ने अपने फुटेज को यूक्रेन वापस भेजने के लिए रूसी मोबाइल-टेलीफोन नेटवर्क का इस्तेमाल किया, जिनमें से अधिकांश को बाद में सोशल मीडिया पर शेयर किया गया.
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माना जा रहा है कि यह ऑपरेशन इस तरह से प्लान किया गया था कि ट्रकों के ड्राइवरों को पता ही न हो कि वे क्या लेकर जा रहे हैं. इस संबंध में, विश्लेषकों का कहना है कि यह ऑपरेशन 2022 में केर्च ब्रिज पर हुए हमले जैसा ही था, जहाँ एक ट्रक में छिपाए गए बम ने क्रीमिया को रूसी मेनलैंड से जोड़ने वाले पुल के एक हिस्से को नष्ट कर दिया था.
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यूक्रेन रूसी क्षेत्र के हजारों किमी भीतर इतनी बड़ी संख्या में रूसी विमानों को नष्ट करने में सक्षम था, इस तरह के बड़े हमले के बाद ड्रोन वार की संभावनाएं नेक्स्ट लेवल पर जाती नजर आने लगी हैं.
शुगार्ट की चेतावनी में पहले ही ड्रोनों से हवाई अड्डों को होने वाले खतरे के बारे में लिखा गया था और खास तौर से यह सिफारिश की गई थी कि बॉम्बर्स जैसे प्रमुख विमानों के पास भी इस प्रकार के हमलों से बचने के लिए हार्ड शेल्टर तैयार होने चाहिए. अब यूक्रेन के रूस पर हमले के बाद भारत समेत अन्य देशों को इसको लेकर रणनीति बनाने की जरुरत की तरफ इशारा किया है.