पॉपकॉर्न पर 18% जीएसटी, जानें GST काउंसिल की बैठक के बाद क्या महंगा और सस्ता हुआ

कमर्शियल यूज के लिए सेकंड हैंड कार और पॉपकॉर्न पर 18% जीएसटी लगाई गई है. वहीं, जीन थेरेपी पर पूरी तरह से जीएसटी की छूट दी गई है.
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पॉपकॉर्न

GST: कल 21 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक हुई. इस बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए, जिनमें कुछ प्रोडक्ट्स पर जीएसटी रेट बढ़ाने का फैसला किया गया. इस बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ देश के कई राज्यों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया.

महंगा और सस्ता क्या हुआ?

कमर्शियल यूज के लिए सेकंड हैंड कार और ईवी पर 18% जीएसटी है, जिससे अब ये महंगी हो जाएगी. इसका सीधा असर आम नागरिकों पर पड़ेगा. पॉपकॉर्न भी अब महंगे हो गए हैं, जब भी लोग सिनेमाघर में फिल्म देखने जाते हैं तो पॉपकॉर्न जरुर लेते है. अब पॉपकॉर्न को जीएसटी लगा दी गई है, जिसका का सीधा असर इनकी कीमतों पर देखने को मिलेगा. वहीं, फोर्टिफाइड चावल पर जीएसटी 5% घटी है. 50% से अधिक फ्लाई ऐश वाले एसीसी ब्लॉक्स पर जीएसटी रेट 18% से घटकर 12% हुई है. जीन थेरेपी पर पूरी तरह से जीएसटी की छूट दी गई है.

पॉपकॉर्न पर लगी जीएसटी

इस बैठक में जीएसटी काउंसिल ने पॉपकॉर्न पर भी जीएसटी लगा दी है. पॉपकॉर्न पर जीएटी लगाने के लिए तीन स्लैब बनाए गए हैं. पहले स्लैब में रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न को शामिल किया गया है जो पहले से पैकेज्ड नहीं है. इन पर 5% जीएसटी लगाई गई है. वहीं, नमक व मसालों के साथ प्री-पैकेज्ड लेबल वाले पॉपकॉर्न पर 12% जीएसटी और सुगर फ्लेबर वाले पॉपकॉर्न जैसे कैरेमेल पॉपकॉर्न पर 18% जीएसटी लगाई गई है.

सेकंड हैंड गाड़ियों और ईवी पर बढ़ा जीएसटी

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कमर्शियल यूज के लिए खरीदी और बेची जाने वाली सेकंड हैंड कारों पर जीएसटी रेट 12% से बढ़ाकर 18% कर दी जाएगी. इसमें इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) भी शामिल हैं. हालांकि, अगर कोई व्यक्ति अपने इस्तेमाल के लिए सेकंड हैंड वाहन खरीदता है, तो उस पर 12% जीएसटी रेट ही लागू होगी.

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इंश्योरेंस और फूड ऑर्डर पर कोई राहत नहीं

हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर जीएसटी रेट को कम करने का विचार करने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है. इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. इसके अलावा, Zomato और Swiggy जैसे ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप्स पर जीएसटी रेट कम करने वाले प्रस्ताव भी स्थगित हो गया है. इस बैठक से पहले ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप्स पर जीएसटी रेट कम किया जा सकता है.

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