1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस: आतंकी सैयद अब्दुल करीम टुंडा बरी, टाडा कोर्ट ने सुनाया फैसला, अजमेर की जेल में है बंद

1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस: अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद 1993 में कोट, लखनऊ, जयपुर, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई में ट्रेनों के अंदर सीरियल बम ब्लास्ट हुआ था.
1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस

1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस

1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस: अजमेर की टाडा कोर्ट में 1993 के सीरियल ब्लास्ट केस में गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने इस केस में आरोपी आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है. अभी अब्दुल करीम टुंडा अजमेर की जेल में बंद है. हालांकि कोर्ट ने अन्य दो आरोपी इरफान और हमीदुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

दरअसल, अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद 1993 में कोट, लखनऊ, जयपुर, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई में ट्रेनों के अंदर सीरियल बम ब्लास्ट हुआ था. इसी सीरियल बम ब्लास्ट केस में आतंकी टुंडा को आरोपी बनाया गया था. तब सीबीआई ने टुंडा को इस केस में मास्टर माइंड बनाया था. वहीं 2013 में टुंडा को नेपाल बॉर्डर के पास से गिरफ्तार किया गया था.


उसे गिरफ्तार किए जाने के बाद देश में कई जगहों पर आतंकी हमला करने के मामले में आरोपी बनाया गया था. उसके ऊपर भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने और युवाओं को इससे प्रशिक्षण देने का आरोप था. उसके ऊपर 1998 में गणेश उत्सव के दौरान आतंकी हमले की योजना बनाने का आरोप लगा था.

मुस्लिम समुदाय के लिए काम करने के लिए बनाई थी ये संस्था

गौरतलब है कि आतंकी अब्दुल करीम टुंडा पर मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट में संलिप्त होने का आरोप है. इसके अलावा टुंडा ने जालीस अंसारी के साथ मिलकर एक संस्था ‘तंजीम इस्लाह-उल-मुस्लिमीन’ बनाई थी. दावा किया गया था कि ये संस्था मुंबई में मुस्लिम समुदाय के लिए काम करने के उद्देश्य से बनाई गई है.

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बता दें कि टुंडा का जन्म दिल्ली के दरियागंज में छत्ता लाल मियां इलाके के एक गरीब परिवार में हुआ था. पहले टुंडा गाजियाबाद के पिछखुआ गांव के बाजार खुर्द इलाके में कारपेंटर का काम करता था. यहीं उसका पैतृक घर भी बताया जाता है. उसके पिता अपने रोजगार के लिए तांबा, जस्ता और एल्युमिनियम जैसे धातुओं का गलाने का काम किया करते थे.

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