50th Anniversary of Emergency: आपातकाल के वो काले दिन, जिसने लोगों से छिन लिया था उनका अधिकार

50th Anniversary of Emergency in India: आपातकाल लगाने का आदेश देश के तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत जारी किया था.
50th Anniversary of Emergency in India

भारत में आपातकाल

50th Anniversary of Emergency in India: 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी. जिसे भारतीय इतिहास के सबसे कुख्यात घटनाओं में से एक माना जाता है. आपातकाल के दौरान नागरिक स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया गया और कांग्रेस के राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई को भी अंजाम दिया गया. गौरतलब है कि आपातकाल लगाने का आदेश देश के तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत जारी किया था.

उन्होंने चुनाव रद्द करने और प्रधानमंत्री को अभूतपूर्व अधिकार देने वाले आदेश को लागू करने के लिए ‘आंतरिक गड़बड़ी’ का हवाला दिया था. इंदिरा गांधी सरकार ने यह भी तर्क दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे थे, जिसको देखते हुए ऐसे सख्त उपायों की आवश्यकता थी. उस समय, पाकिस्तान के साथ युद्ध हाल ही में समाप्त हुआ था. जिसके कारण अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ था और विरोध प्रदर्शन और हड़तालें हुईं. उस समय सरकार ने कहा कि इससे देश को काफी नुकसान हुआ.

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इंदिरा गांधी ने क्यों लगाया आपातकाल

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा इंदिरा गांधी को चुनावी कदाचार में दोषी ठहराने के बाद देश में आपातकाल की घोषणा की गई. उस दौरान इंदिरा गांधी  को संसद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. यह भी कहा गया था कि वह अगले 6 वर्षों तक किसी भी निर्वाचित पद पर नहीं रह पाएंगी. इस फैसले के तुरंत बाद उन्होंने आपातकाल की घोषणा कर दी थी.

1975 के आपातकाल के दौरान क्या हुआ था?

आपातकाल के दौरान नागरिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों के अलावा ट्रेड यूनियनों पर भी दमन किया गया था. सरकार ने कथित तौर पर ट्रेड यूनियन गतिविधि, श्रमिकों की हड़ताल पर प्रतिबंध लगा दिया और बोनस के लिए कोई गुंजाइश नहीं रखते हुए निश्चित वेतन लागू कर दिया था. इसके खिलाफ़ विरोध करने वाले श्रमिकों को सख्त दमन का सामना करना पड़ा था. इस अवधि का एक और विवादास्पद पहलू था संजय गांधी का देश भर में सामूहिक नसबंदी कार्यक्रम और शहरों के ‘सौंदर्यीकरण’ के लिए झुग्गियों को ध्वस्त करना, जिसमें झुग्गीवासियों को बहुत कम या बिना किसी पूर्व सूचना के उनकी झुग्गी खाली कराया गया.

आपातकाल 21 मार्च 1977 को समाप्त हुआ, जिसके पहले इंदिरा गांधी ने 18 जनवरी 1977 को नए चुनावों का आह्वान किया था. उन्होंने कई विपक्षी नेताओं को जेल से रिहा करने का भी आदेश दिया था.

इंदिरा गांधी पर लगे कई आरोप

आपातकालीन काल को लेकर इंदिरा गांधी की काफी आलोचना हुई और कई आरोप भी लगे. इसमें, पुलिस द्वारा बिना किसी आरोप या परिवार को सूचित किए लोगों को हिरासत में लेना. बंदियों और राजनीतिक कैदियों के साथ दुर्व्यवहार और अत्याचार की घटना, सरकारी प्रचार के लिए राष्ट्रीय टेलीविजन नेटवर्क दूरदर्शन जैसे सार्वजनिक और निजी मीडिया संस्थानों का उपयोग करना ये सभी शामिल हैं.

वहीं, आपातकाल के दौरान, संजय गांधी ने लोकप्रिय गायक किशोर कुमार को बॉम्बे में कांग्रेस पार्टी की रैली के लिए गाने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. परिणामस्वरूप, सूचना और प्रसारण मंत्री विद्या चरण शुक्ला ने 4 मई 1976 से आपातकाल के अंत तक राज्य प्रसारकों ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर किशोर कुमार के गाने बजाने पर अनौपचारिक प्रतिबंध लगा दिया.

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