Electoral Bond: अडानी, अंबानी और टाटा का नाम इलेक्टोरल बॉन्ड की सूची में नहीं, कमाई के मामले में जानिए तीनों की कितनी है नेटवर्थ
Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुनाव आयोग ने गुरुवार (14 मार्च) को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर जारी किया. इसके मुताबिक भाजपा सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी है. 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक पार्टी को सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपए मिले हैं. सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टियों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस है, जिसे कुल 1,609 करोड़ रुपये मिले हैं. इसके अलावा कांग्रेस को चंदे के रूप में कुल 1,421 करोड़ रुपये मिले हैं.
हालांकि, किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है, इसका लिस्ट में जिक्र नहीं किया गया है. चुनाव आयोग ने वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट अपलोड की हैं. एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है. लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों की लिस्ट में शुमार अंबानी, अडानी और टाटा का नाम चुनावी बॉन्ड की सूचि में शामिल नहीं है. ये उद्योगपति कमाई के मामले में शीर्ष पायदान पर हैं. तो चलिए जानते हैं इन तीनों का नेटवर्थ.
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गौतम अडानी का नेटवर्थ
ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स के मुताबिक अडानी की नेटवर्थ अब 99.9 अरब डॉलर है. वैसे इस साल उनकी नेटवर्थ में 15.6 अरब डॉलर की तेजी आई है. पिछले साल हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के कारण ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. इस कारण अडानी सबसे ज्यादा नेटवर्थ में दुनिया में सबसे ज्यादा गिरावट आई थी. लेकिन हाल के दिनों में ग्रुप के शेयरों में तेजी आई है.
दुनिया के टॉप अरबपतियों की लिस्ट में अंबानी
फोर्ब्स के मुताबिक रिलायंस चेयरमैन को बुधवार को 4.42 अरब डॉलर या करीब 36,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. रिलायंस की मार्केट वैल्यू कम होकर 19.39 लाख करोड़ रुपये रह गई. रिलायंस के शेयर टूटने की वजह से मुकेश अंबानी की नेटवर्थ घटकर 112.5 अरब डॉलर रह गई. ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक, रिलायंस चेयरमैन इतनी संपत्ति के साथ दुनिया के टॉप अरबपतियों की लिस्ट में 11 नंबर पर हैं.
टाटा ग्रुप का कुल नेटवर्थ
रतन टाटा की कुल संपत्ति ₹3,800 करोड़ थी और वह आईआईएफएल वेल्थ हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2022 में 421वें स्थान पर थे. इससे पहले, वह 433वें स्थान पर थे और 2021 में उनकी कुल संपत्ति ₹3,500 करोड़ थी. इसके पीछे एक बड़ा कारण यह है कि टाटा ट्रस्ट होल्डिंग कंपनी टाटा संस के तहत फर्मों द्वारा की गई कुल कमाई का 66 फीसदी आम जनता की सेवा कार्यों के लिए दान दे देता है.