‘DGP-सचिव बदल सकती है EC, तो जांच एजेंसियों पर नियंत्रण क्यों नहीं?’ केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में आयोग पहुंचा ‘INDI’ गठबंधन
Arvind Kejriwal Arrest: लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग शुरू होने से ठीक पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का मुद्दा तुल पकड़ते ही जा रहा है. ‘INDI’ गठबंधन में शामिल विपक्षी दलों ने बड़ा आरोप लगाया है. विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पहुंचकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.
‘INDI’ गठबंधन में शामिल है AAP
अब जांच एजेंसियों के दुरुपयोग और केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ में चुनाव आयोग पहुंचकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. इसके साथ ही ‘INDI’ गठबंधन में शामिल विपक्षी दलों की ओर से जल्द ही साझा बयान भी जारी किया जाएगा. बता दें कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सीएम होने के साथ आम आदमी पार्टी(AAP) के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं. लोकसभा चुनाव में विपक्षी ‘INDI’ गठबंधन में AAP शामिल है.
कई दलों के नेता ने जारी किया साझा बयान
कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ-साथ TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन, मोहम्मद नदीमुल हक, CPI-M के महासचिव सीताराम येचुरी, AAP नेता संदीप पाठक, पंकज गुप्ता, NCP-शरद पवार गुट से जितेंद्र आव्हाड, DMK से पी विल्सन और समाजवादी पार् से जावेद अली की ओर से इस पर साझा बयान जारी किया गया.
EC से हस्तक्षेप करने की मांग की
चुनाव आयोग में आपत्ति दर्ज कराने के बाद कांग्रेस ने अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि हमने आयोग के सामने इस बात को रखा है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी गंभीर और व्यापक मुद्दा है. यह किसी व्यक्ति या किसी पार्टी के बारे में नहीं है बल्कि यह भारत के संविधान के मूल ढांचे से सीधा संबंध रखता है. उन्होंने आगे कहा कि जब चुनाव के लिए लेवल प्लेयिंग फील्ड की जरूरत होती है, तब एजेंसियों का दुरुपयोग करते हैं, इसका असर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और अंत में लोकतंत्र पर पड़ता है. इस मामले में हमने चुनाव आयोग से हस्तक्षेप करने की मांग की है.
‘जांच एजेंसियों पर नियंत्रण क्यों नहीं’
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘आजाद भारत के 75 साल के इतिहास में पहली बार किसी मौजूदा मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया, जबकि सबसे पुरानी और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का बैंक अकाउंट भी फ्रीज कर दिया गया है. हमने विपक्षी नेताओं के खिलाफ एजेंसियों के दुरुपयोग के सबूत दिए. हैरत की बात है कि इन एजेंसियों का एक्शन सत्ता पक्ष पर नहीं दिखता है. हमने यह भी मांग की है कि अगर चुनाव आयोग राज्य के DGP, सचिव को बदल सकता है तो वह इन जांच एजेंसियों पर नियंत्रण क्यों नहीं रखता?