Auto Taxi Strike: दिल्ली-NCR के लोगों की बढ़ेंगी मुश्किलें, 2 दिन ऑटो-टैक्सी का हड़ताल, 14 यूनियन शामिल

Delhi-NCR: हड़ताल में दिल्ली-एनसीआर के 15 से अधिक यूनियन शामिल हैं. एक आंकड़े के तहत हड़ताल की वजह से चार लाख टैक्सी सड़कों पर नहीं उतरेंगी. वहीं, हड़ताल से ऑटो, टैक्सी और एप आधारित कैब सेवाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होने का खतरा है.
Delhi Auto Taxi Strike

प्रतीकात्मक तस्वीर

Delhi Auto-Taxi Strike: ऑटो-टैक्सी चालकों की दो दिवसीय हड़ताल के बीच राजधानी दिल्ली में आज लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल दिल्ली-एनसीआर में ऑटो और टैक्सी चालक यूनियनों ने ऐप-आधारित कैब सेवाओं के कारण उनकी आजीविका पर पड़ने वाले बढ़ते प्रभाव के विरोध में आज से हड़ताल की घोषणा की है.

हड़ताल में दिल्ली-एनसीआर के 15 से अधिक यूनियन शामिल हैं. एक आंकड़े के तहत हड़ताल की वजह से चार लाख टैक्सी सड़कों पर नहीं उतरेंगी. वहीं, हड़ताल से ऑटो, टैक्सी और एप आधारित कैब सेवाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होने का खतरा है. संगठन के साथ तमाम ऑटो-टैक्सी संगठनों के पदाधिकारी जंतर मंतर आज अपनी मांगों को लेकर बैठेंगें. दिल्ली पुलिस से इस धरने प्रदर्शन को लेकर इजाजत मिल गई.

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22 अगस्त को जंतर-मंतर पर करेंगे धरना प्रदर्शन

टैक्सी चालक सेना यूनियन, दिल्ली ऑटो तिपहिया ड्राइवर यूनियन, राजधानी टूरिस्ट ड्राइवर यूनियन समेत दिल्ली- एनसीआर के 15 से अधिक प्रमुख ऑटो, टैक्सी चालकों ने दो दिनी संयुक्त हड़ताल की घोषणा की है. 1 लाख ऑटो और 4 लाख टैक्सियां में अधिकतर कैब नहीं चलेंगी. वहीं हड़ताली जंतर-मंतर पर 22 अगस्त को धरना प्रदर्शन भी करेंगे.

“कैब चालकों से मोटा कमीशन वसूल रही है एप कंपनियां”

ऑल दिल्ली ऑटो टैक्सी ट्रांसपोर्ट कांग्रेस यूनियन के अध्यक्ष किशन वर्मा का कहना है कि एप आधारित कैब सेवा से ऑटो-टैक्सी चालकों को नुकसान हो रहा है. तो वहीं, दावा किया कि कैब चालकों से एप कंपनियां मोटा कमीशन वसूल रही है. संगीन इल्जाम मढ़ते हुए किशन वर्मा का दावा है कि परिवहन विभाग और यातायात पुलिस की मिलीभगत से अवैध रूप से चलते बाइक टैक्सी और ई-रिक्शा से भी टैक्सी ड्राइवर्स का रोजगार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मनमानी को रोकने में विफल रही है, लिहाजा हड़ताल पर जाने के अलावा कोई रास्ता नही बचा.

किशन वर्मा ने कहा, ‘कई सालों से, ऐप बेस्ड कंपनियों के बारे में सरकारों और विभागों को लिख रहे हैं, लेकिन कोई नहीं सुनता. ये कंपनियां अपना पक्ष रखती हैं, और सरकार अपना पक्ष रखती है, लेकिन ये व्यवसाय चंदे के खेल के रूप में संचालित होते हैं, जिसमें सरकार भी शामिल होती है. हम इस खेल को समाप्त करने की मांग करते हैं. ऑटो और टैक्सी चालकों का रोजगार, जो प्रभावित हो रहा है या छिन रहा है, उसका समाधान किया जाना चाहिए.’

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