‘किताब बेचने के चक्कर में अपना ईमान बेच दिया’, साक्षी मलिक के आरोपों पर बबीता फोगाट का पलटवार

Babita Phogat: अपनी किताब को लेकर दिए एक इंटरव्यू में में साक्षी मलिक ने कहा था कि बबीता फोगाट भारतीय कुश्ती महासंघ की चेयरमैन बनना चाहती थीं. उन्होंने ही प्रोटेस्ट के लिए अनुमति ली थी.
Babita Phogat

साक्षी मलिक और बबीता फोगाट

Babita Phogat On Sakshi Malik: भारतीय पहलवानों के बीच जुबानी जंग इस समय अपने चरम पर है. पूर्व महिला पहलवान ने हाल ही में लॉन्च हुई अपनी किताब में पूर्व साथी पहलवान और भाजपा नेता बबीता फोगाट पर साजिश रचने का आरोप लगाया. अपनी किताब को लेकर दिए एक इंटरव्यू में में साक्षी मलिक ने कहा था कि बबीता फोगाट भारतीय कुश्ती महासंघ की चेयरमैन बनना चाहती थीं. उन्होंने ही प्रोटेस्ट के लिए अनुमति ली थी. हालांकि, साक्षी मलिक के इस बयान पर बबीता फोगाट ने पलटवार किया है और उन्होंने कहा है कि किताब बेचने के चक्कर में तुमने अपना ईमान बेच दिया.

बुधवार, 23 अक्टूबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए बबीती फोगाट ने लिखा, “खुद के किरदार से जगमगाओ, उधार की रोशनी कब तक चलेगी. किसी को विधानसभा मिला, किसी को मिला पद, दीदी तुमको कुछ ना मिला हम समझ सकते हैं तुम्हारा दर्द. किताब बेचने के चक्कर में अपना ईमान बेच गई.”

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साजिश की मुखिया थीं बबीता फोगाट- साक्षी मलिक

बता दें कि बबीता फोगाट ने भले ही अपने पोस्ट में साक्षी मलिक के नाम का जिक्र नहीं किया है, लेकिन उनका ये पोस्ट साक्षी के लिए ही था, क्योंकि उन्होंने अपनी किताब में बबीता फोगाट को आंदोलन के पीछे साजिश रचने वाली मुखिया बताया था. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में साक्षी ने कहा था, बबीता फोगाट ही थीं जिन्होंने खिलाड़ियों को बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए उकसाया, व्यवस्था की, हमें अनुमति दिलाई.”

साक्षी मलिक ने किए कई खुलासे

आपको बताते चलें कि पूर्व महिला पहलवान साक्षी मालिक ने विटनेस ना की एक किताब पब्लिश की हैं, जो उनकी ऑटोबायोग्राफी है. इसमें साक्षी ने कई खुलासे किए, उन्होंने बबीता फोगाट ही नहीं, बल्कि विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया को भी नहीं छोड़, जो उनके साथ बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ चलाए गए आंदोलन का हिस्सा थे. बबीता फोगाट ने विनोश और बजरंग पुनिया पर किताब में आरोप लगाया है कि आपने नेशनल ट्रायल्स में छूट को स्वीकार किया और इस वजह से आंदोलन कमजोर पड़ा. इससे सभी लोगों को लगा कि आप अपने स्वार्थ के लिए ये धरना प्रदर्शन कर रहे थे.

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