Bangladesh: कोटा सिस्टम को लेकर बांग्लादेश में बवाल, पूरे देश में कर्फ्यू, सड़कों पर उतरी सेना, अब तक 105 लोगों की मौत
Bangladesh Violence: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम खत्म करने की मांग को लेकर छात्रों का हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी है. देशभर में शुरू हुई हिंसक झड़पों में अब तक 105 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. शेख हसीना सरकार ने हालात नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लागू करने और सेना उतारने का फैसला किया है. दूसरी तरफ, पड़ोसी देश में हिंसा की घटनाओं पर भारत के विदेश मंत्रालय का बयान आया है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ये बांग्लादेश का आंतरिक मामला है और वहां पर रहने वाले सभी भारतीय सुरक्षित हैं. इस बीच ढाका से अब तक 125 स्टूडेंट्स समेत करीब 300 भारतीयों को निकाला जा चुका है.
ढाका में भारतीय उच्चायोग देश लौटने के इच्छुक भारतीय छात्रों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए है. भारतीय उच्चायोग ने कई नेपाली छात्रों की भी वापसी में मदद की है. विदेश मंत्रालय द्वारा बताया गया कि बांग्लादेश के हालात पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर नजदीकी नजर बनाए हुए हैं. वहीं पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित बेनापोल-पेट्रापोल; गेडे-दर्शाना और त्रिपुरा में अखौरा-अगरतला क्रॉसिंग भारतीय नागरिकों की वापसी के लिए खुले रहेंगे.
बता दें कि बांग्लादेश में नौकरियों में आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर प्रदर्शन हिंसक हो चुका है और इस वजह से पड़ोसी देश में हालात खराब हो गए हैं. आलम यह है कि पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है और हालात काबू में करने के लिए सेना को उतारने का फैसला करना पड़ा है.
क्या है कोटा सिस्टम?
बांग्लादेश में प्रदर्शन करने वाले छात्र शेख हसीना सरकार की जॉब कोटा सिस्टम के खिलाफ हैं. ये सिस्टम कुछ समूहों के लिए सरकारी नौकरियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा आरक्षित करता है. प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि इसके चलते मेधावी कैंडिडेट्स को सरकारी नौकरी मिलनी मुश्किल हो जाती है. छात्रों ने कोटा सिस्टम को भेदभावपूर्ण बताया है और वे इसे खत्म करने की मांग लेकर सड़कों पर उतर आए हैं. इस प्रदर्शन का केंद्र ढाका बना हुआ है और सबसे ज्यादा असर इसका देखने को मिल रहा है. वहीं हिंसक प्रदर्शन के दौरान बड़े पैमाने पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है जबकि अब तक 105 लोग इस हिंसा में जान गंवा चुके हैं.