Bihar News: गरीबी पर आंकड़ों के ‘खेल’ में उलझा बिहार, जातीय जनगणना और आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में क्या हैं दावे
Bihar News: बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की गई. इस रिपोर्ट के जरिए कई ऐसे आंकड़ें पेश किए गए हैं जो जातीय जनगणना की रिपोर्ट में आए आंकड़ों पर फिर से गौर करने को मजबूर करते हैं. इन आंकड़ों के आधार पर ही कहा जा रहा है कि बिहार में सरकार गरीबी पर आंकड़ों के खेल में उलझी हुई है.
डिप्टी सीएम द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार राज्य में प्रति व्यक्ति आय 59,637 रुपये प्रति वर्ष होने का अनुमान है. बीते साल की तुलना में ये 13.9 फीसदी ज्यादा है. हालांकि दूसरी ओर जातीय जनगणना की रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य में कुल 2.97 करोड़ परिवार हैं. इनमें 94 लाख से ज्यादा परिवारों के लिए प्रति माह छह हजार रुपए या इससे कम पर अपना खर्च चलाना पड़ता हैं.
64 फीसदी परिवारों की आय दस हजार से कम
यानी राज्य में 34.13 फीसदी परिवारों की मासिक आय छह हजार रुपए या इससे कम हैं. इसके अलावा 29.61 फीसदी (करीब 82 लाख परिवार) परिवारों की आय छह हजार से दस हजार रुपए के बीच है. वहीं 18.06 फीसदी (करीब 50 लाख परिवार) परिवारों की आमदनी दस हजार रुपए से बीस हजार रुपए के बीच है. हालांकि रिपोर्ट में बताया गया था कि 9.83 फीसदी (करीब 27 लाख परिवार) परिवारों की आय करीब 20 हजार से 50 हजार के बीच है.
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लेकिन देखा जाए तो राज्य में करीब 64 फीसदी परिवारों की आय दस हजार से कम बताई गई थी. अब आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट ने जातीय जनगणना की रिपोर्ट के साथ गरीबी पर आंकड़ों के खेल को और मजबूत बना दिया है. अब सोमवार विधानसभा में पेश किए गए आंकड़े के अनुसार प्रति व्यक्ति आय को 59,637 रुपए हर साल है. यानी देखा जाए तो रिपोर्ट बताती है कि परिवारों की आय पांच हजार रुपए से भी कम है.
ये हाल तब है जब बीते साल की तुलना में प्रति व्यक्ति आय 13.9 फीसदी ज्यादा हुई है. इसके अलावा राज्य की प्रति व्यक्ति आय स्थिर 9 फीसदी बढ़कर 35,119 रुपये प्रति वर्ष तक पहुंच गई है. बता दें कि बिहार के वित्त विभाग का मौजूदा कार्यभार डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के पास है. उन्होंने बजट सत्र के पहले दिन विधानसभा में बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 पेश की.