30 अगस्त को भाजपा में होंगे शामिल चंपाई सोरेन, अमित शाह से मुलाकात के बाद हुआ फैसला

Champai Soren: पिछले हफ्ते की शुरुआत में चम्पाई सोरेन ने कहा था कि वे राजनीति नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने कहा कि मैंने तीन ऑप्शन बताए थे- रिटायरमेंट, संगठन या दोस्त.
Champai Soren In BJP

अमित शाह, चम्पाई सोरेन और हिमंत बिस्वा शर्मा

Champai Soren Will Join BJP: झारखंड के एक प्रमुख आदिवासी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन 30 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले हैं.  इस बात की पुष्टि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने की है. बता दें कि इस साल अक्टूबर-नवंबर में 81 विधानसभा सीटों वाले झारखंड के लिए चुनाव होने की संभावना है. असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हमारे देश के एक प्रतिष्ठित आदिवासी नेता चम्पाई सोरेन ने कुछ देर पहले केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात की. वह आधिकारिक तौर पर 30 अगस्त को रांची में बीजेपी में शामिल होंगे.

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते की शुरुआत में चम्पाई सोरेन ने कहा था कि वे राजनीति नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने कहा कि मैंने तीन ऑप्शन बताए थे- रिटायरमेंट, संगठन या दोस्त. मैं रिटायर नहीं होऊंगा, मैं पार्टी को मजबूत करूंगा, नई पार्टी बनाऊंगा और अगर रास्ते में कोई अच्छा दोस्त मिलता है तो उसके साथ आगे बढ़ूंगा.

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झारखंड में खुद को मजबूत करने में जुटी है बीजेपी

चंपई सोरेन का बीजेपी में शामिल होने का फैसला ऐसे समय में आया है जब पार्टी झारखंड में अपना आधार मजबूत करने में जुटी है. बीजेपी में चंपई का शामिल होना एक रणनीतिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है. इसकी वजह से आगामी विधानसभा चुनाव से पहले आदिवासी समुदायों के बीच पार्टी का प्रभाव बढ़ने की संभावना है.

जेएमएम से क्यों अलग हुए चंपई सोरेन?

हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद जेएमएम नेता को सीएम पद पर नियुक्त किया गया था. फिर झारखंड हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन को जमानत दे दी और 3 जुलाई को चंपई सोरेन को सीएम पद को छोड़ना पड़ा. कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, वह इस बात से नाखुश थे कि हेमंत सोरेन को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने के लिए उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था.

“मैंने हमेशा जन-सरोकार की राजनीति की है”

इसके बाद उन्होंने कहा था कि कोल्हान के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गरीब किसान के बेटे को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया. अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में औद्योगिक घरानों के खिलाफ मजदूरों की आवाज उठाने से लेकर झारखंड के आंदोलन तक, मैंने हमेशा जन-सरोकार की राजनीति की है. राज्य के आदिवासियों, मूलवासियों, गरीबों, मजदूरों, छात्रों एवं पिछड़े तबके के लोगों को उनका अधिकार दिलवाने का प्रयास करता रहा हूं. किसी भी पद पर रहा अथवा नहीं, लेकिन हर पल जनता के लिए उपलब्ध रहा, उन लोगों के मुद्दे उठाता रहा, जिन्होंने झारखंड राज्य के साथ, अपने बेहतर भविष्य के सपने देखे थे.

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