UP News: क्या है वो मामला? जिसमें बाहुबली धनंजय सिंह को हुई 7 साल की जेल, अब नहीं लड़ पाएंगे लोकसभा चुनाव!

UP News: 5 मार्च को जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को अपहरण और रंगदारी मामले में अदालत ने दोषी करार दिया था.
Dhananjay Singh, UP News

पूर्व सांसद धनंजय सिंह

UP News: जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. बीते दिन विशेष न्यायाधीश एमपीएमलए कोर्ट शरद त्रिपाठी ने मामले पर सुनवाई करते हुए धनंजय सिंह को दोषी करार दिया था और आज कोर्ट ने उन्हें 7 साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही बाहुबली धनंजय सिंह के साथी संतोष विक्रम को भी सात साल जेल की सजा सुनाते हुए 50 हजार का जुर्माना लगाया है. बता दें कि मुजफ्फरनगर निवासी नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में धनंजय सिंह और संतोष विक्रम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.

लोकसभा तो दूर विधानसभा भी नहीं लड़ पाएंगे चुनाव

हिस्ट्रीशीटर रहे बाहुबली धनंजय सिंह पर इसके अलावा भी कई आपराधिक केस चल रहे हैं लेकिन सजा पहली बार किसी मामले में उनको सुनाई गई है. बताते चलें कि धनंजय सिंह कई बार विधायक और 2004 में बसपा के टिकट पर सांसद चुने गए थे. इस बार भी उन्होंने जौनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था. अब सजा के कारण उनके चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. अब वह लोकसभा तो दूर विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे.

क्या था मामला?

बता दें 10 मई 2020 को नमामि गंगे प्रोजेक्ट के मैनेजर अभिनव सिंघल ने लाइन बाजार पुलिस थाने में धनंजय और उनके साथी संतोष विक्रम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. प्रोजेक्ट मैनेजर ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि धनंजय समेत संतोष विक्रम के कई गुर्गों ने उनका अपहरण कर उन्हें धनंजय के सामने लाया गया. इस दौरान धनंजय सिंह ने पिस्टल से धमकाते हुए सड़क निर्माण में कम गुणवत्ता वाली सामग्री के इस्तेमाल करने का दबाव बनाया और रंगदारी भी मांगी. इसके बाद पुलिस ने उसी दिन धनंजय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

वादी-गवाह के पक्षद्रोही होने के बाद सजा

इसी बीच मामले में एक नया मोड़ भी सामने आया था. प्रोजेक्ट मैनेजर ने कोर्ट में हलफनामा देते हुए धनंजय सिंह पर लगे अपहरण समेत सभी आरोपों को वापस ले लिया. मामले में उनकी तरफ से पेश गवाह भी पक्षद्रोही हो गया था. इसके बाद पुलिस ने भी अपनी विवेचना में दोनों आरोपियों को क्लीन चिट दे दी. बाद में क्षेत्राधिकारी ने प्रकरण में पुनः विवेचना के आदेश दिए. पुलिस ने दोबारा विवेचना के बाद कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया था. विवेचना के दौरान पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, सीडीआर, व्हाट्सएप मैसेज और गवाहों के बयान को मजबूत आधार बनाया. वादी और गवाह के पक्षद्रोही होने के बाद भी कोर्ट ने धनंजय को दोषी करार देते हुए 7 साल की सजा सुनाई है.

 

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