अरुणाचल और गलवान पर सॉरी, कई सवालों के जवाब ही डिलीट…DeepSeek में छुपा है ‘चाइनीज डीप स्टेट’ का खतरनाक जिन्न?

बिलकुल! जो बात सबसे मजेदार है, वो ये है कि यही DeepSeek चैटबॉट अमेरिका और यूरोप में बहुत ही लोकप्रिय हो चुका है. इसने अमेरिकी बाजार में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और वहां के यूज़र्स ने इसकी कार्यक्षमता को सराहा भी. लेकिन जैसे ही ये भारत के यूज़र्स के सामने आता है, तो उसकी पोल खुलने लगती है.

दो हफ्ते पहले लॉन्च हुआ DeepSeek अब एक नई समस्या बन चुका है. ये वही चैटबॉट है जिसने अमेरिकी बाजारों को हिलाकर रख दिया और अब भारत में अपनी सेंसरशिप वाली करतूतों से धमाल मचा रहा है. सवाल साधारण हैं – अरुणाचल प्रदेश कहां है? या पैंगोंग झील पर किसका हक है? लेकिन जवाब? ओह, इन सवालों के उत्तर नहीं मिलते, या मिलते हैं तो वो गायब हो जाते हैं जैसे ही ‘चाइनीज’ सरकार की बात आती है. एक पल में चमकता जवाब फिर तुरन्त ‘Sorry, यह मेरे वर्तमान दायरे से बाहर है” की कैटेगरी में चला जाता है.

इसका क्या मतलब है? सीधे तौर पर कहें तो ये AI चैटबॉट चीनी राजनीति का अजीब पुतला बनकर उभरा है, जहां चीनी आक्रमण, गलवान संघर्ष, अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन, और पैंगोंग झील जैसे मामलों पर सीधा बयान देने से बचने के लिए ‘डेटा सेंसरशिप’ का तड़का लगाया जाता है. तो, ये जो DeepSeek नाम का चैटबॉट है, उसकी कहानी एकदम अजीब सी है.

अब समझिए, ये DeepSeek क्या कर रहा है?

आप अगर पूछते हैं कि क्या चीन ने 1962 में भारत पर हमला किया था या गलवान घाटी में चीनी सैनिकों का क्या हुआ? तो इस चैटबॉट का जवाब मिलता है. “क्षमा करें, यह मेरे दायरे से बाहर है.” यही नहीं, अरुणाचल प्रदेश या अक्साई चिन से संबंधित सवालों पर भी इस चैटबॉट का रवैया कुछ ऐसा ही होता है. मतलब, यह बिलकुल नहीं चाहता कि आप इन मुद्दों पर बात करें, और हर बार जवाब देने में पल्ला झाड़ लेता है.

यानी, इस AI मॉडल ने ऐसा कुछ चिपकाया हुआ है जैसे कृपया भारत-चीन विवाद से संबंधित सवालों पर टोकने की कोशिश न करें.” चीन की सरकार से जुड़े पॉलिटिकल इंटरेस्ट्स को प्रमोट करने के लिए यह चैटबॉट ठीक वैसा ही काम कर रहा है जैसे सॉफ़्टवेयर इंजीनियर्स ने किसी गुप्त ऑपरेशन के तहत इसे तैयार किया हो. मतलब, जब तक सवाल चीनी राष्ट्रीयता को सही ठहराने वाले हों, सब कुछ ठीक है, लेकिन जैसे ही सवाल भारत की स्थिति पर आते हैं, तो ये ‘डेटा सेंसरशिप’ का हथियार बना लिया जाता है.

ये चीनी AI है या कुछ और?

बिलकुल! जो बात सबसे मजेदार है, वो ये है कि यही DeepSeek चैटबॉट अमेरिका और यूरोप में बहुत ही लोकप्रिय हो चुका है. इसने अमेरिकी बाजार में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और वहां के यूज़र्स ने इसकी कार्यक्षमता को सराहा भी. लेकिन जैसे ही ये भारत के यूज़र्स के सामने आता है, तो उसकी पोल खुलने लगती है. खासकर तब, जब ये अपने जवाब छिपाने की तकनीक दिखाता है.

क्या सिर्फ यह एक टेक्निकल मुद्दा है या कुछ और?

यह मामला सिर्फ टेक्निकल गलती या बग का नहीं है. यह जानबूझकर किया गया है. इससे जैसे ही गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों पर कुछ बात की जाए तो ये सॉरी बोलकर पल्ला झाड़ लेता है. यहां तक कि यह AI चीन के उन मृतकों के बारे में जानकारी देने से भी बचता है.

डीपीसीक की करतूत से यही लग रहा है कि चीन चाहता है कि उसे लेकर कोई नकारात्मक या विवादास्पद बात न हो. और यह तो वही तरीका है, जैसे किसी देश में कड़े सेंसरशिप के नियम होते हैं, जहां नागरिकों को सिर्फ वही जानकारी दी जाती है जो सरकार के लिए सही हो. DeepSeek के जरिए चीन ने अपना आधुनिक तकनीकी दमन लागू किया है, यानी डेटा सेंसरशिप का एक और नया तरीका!

और अब क्या होगा?

अब भारत में DeepSeek के इस बेहूदे खेल के खिलाफ कुछ ठोस कदम उठाए जाने की ज़रूरत महसूस हो रही है. कई जानकारों का मानना है कि यह एक बड़ा संकेत है और भारत को भी अपनी डिजिटल नीति पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है. इस बीच, भारतीय यूज़र्स को ऐसे ऐप्स और तकनीकी सेवाओं से दूर रहने की सलाह दी जा रही है, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक मामलों को नज़रअंदाज कर चुके हैं.

कहीं न कहीं, चाइना को अब लगता है कि अगर वो इस तरह से भारत के सवालों को टालने में सफल हो जाता है, तो शायद उसे हमारे सवालों का जवाब देने की कोई ज़रूरत नहीं रहेगी.

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