दिवाली: एक पर्व, अनेक अर्थ और समृद्धि का उत्सव

दिवाली का उत्सव विभिन्न देशों में भारतीय समुदायों द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जिससे सांस्कृतिक विविधता और वैश्विक एकता का परिचय मिलता है.
Diwali

प्रतीकात्मक तस्वीर

Diwali 2024: दिवाली, जिसे प्रेमपूर्वक दीपावली भी कहा जाता है, भारत में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण और प्रिय त्योहारों में से एक है. यह पर्व हर साल बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक बनकर हमारे जीवन में रौशनी और उमंग का संचार करता है. धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ, यह सामाजिक समृद्धि, खुशी और एकता का एक अनूठा संदेश भी देता है.

दिवाली का उत्सव विभिन्न देशों में भारतीय समुदायों द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जिससे सांस्कृतिक विविधता और वैश्विक एकता का परिचय मिलता है. यह केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक ऐसा अवसर है जहां लोग एकत्र होकर अपने रिश्तों को मजबूत करते हैं, प्रेम और सहयोग का आदान-प्रदान करते हैं, और मिलकर खुशियाँ मनाते हैं.

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कई मान्यताएं हैं जो इस पर्व की महानता को और बढ़ाती हैं. सबसे प्रसिद्ध मान्यता के अनुसार, माना जाता है कि जब प्रभु श्री राम अपने 14 वर्षों के वनवास से लौटे, तो अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. इस स्वागत के उपलक्ष्य में हर साल दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई, जो आज भी हर घर में जारी है. दीपों की रौशनी बुराई को दूर करने और खुशियों को आमंत्रित करने का प्रतीक मानी जाती है. लेकिन दिवाली का महत्व केवल यहीं तक सीमित नहीं है, इसके पीछे और भी ढेर सारी मान्यताएं हैं. इस पर्व के पीछे अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक कथाएं हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं.

दिवाली पर्व मनाने की मान्यताएं:

1. भगवान कृष्ण का नरकासुर का वध:

मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, जो एक अत्याचारी राक्षस था. इस घटना के उपलक्ष्य में छोटी दिवाली मनाई जाती है, जो विजय और न्याय का प्रतीक है. यह कहानी हमें सिखाती है कि बुराई पर अच्छाई की विजय अवश्य होती है और हमें अपने अंदर की शक्ति को पहचानने के लिए प्रेरित करती है.

2. छठे सिख गुरु की रिहाई:

सिख धर्म में दिवाली को ‘बंदी छोड़ दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. इस दिन गुरु हरगोबिंद सिंह को मुगल सम्राट जहांगीर द्वारा रिहा किया गया था. यह घटना धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता का प्रतीक है, जो हमें एकता और सहिष्णुता की भावना को प्रोत्साहित करती है.

3. मां लक्ष्मी का प्रकट होना:

समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी का प्रकट होना और उनका भगवान विष्णु से विवाह इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. मां लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं, और उनका स्वागत करने के लिए दीप जलाए जाते हैं. यह पहलू हमें समृद्धि और समर्पण का महत्व सिखाता है.

4. विष्णु जी द्वारा मां लक्ष्मी की रक्षा:

दिवाली के दिन भगवान विष्णु ने राजा बलि से मां लक्ष्मी को मुक्त किया था. यह घटना हमें यह सिखाती है कि सच्चे प्रेम और समर्पण के माध्यम से हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं. इस कहानी का संदेश हमें सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों की गहराई को समझने में मदद करता है.

5. गुजराती नए साल और महावीर निर्वाण दिवस:

दिवाली को गुजराती नए साल के रूप में भी मनाया जाता है, जो नए अवसरों और समृद्धि का प्रतीक है. साथ ही, यह जैन धर्म के तीर्थंकर महावीर के निर्वाण का पर्व भी है, जो मोक्ष और आत्मा की शुद्धता का संदेश देता है. यह हमें याद दिलाता है कि जीवन के हर चरण में नई शुरुआत की संभावना होती है.

6. फसल कटाई का उत्सव:

कई स्थानों पर, दिवाली फसल कटाई का अंत और नई फसल के लिए आभार व्यक्त करने का अवसर भी है. यह हमें प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का एहसास कराता है और हमारे संबंधों को धरती के साथ जोड़ता है. छत्तीसगढ़ में, यह पर्व विशेष रूप से “सुआ गीत” और “पंडुम” सजाने की परंपरा से जुड़ा है, जहां लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं.

वहीं दिवाली का पर्व केवल भारत तक सीमित नहीं है; यह एक वैश्विक उत्सव बन चुका है, जो विभिन्न देशों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. खासकर उन क्षेत्रों में जहां भारतीय समुदाय बसे हुए हैं, वहां इस पर्व की रौनक और भी बढ़ जाती है. आइए जानते हैं कि विभिन्न देशों में दिवाली किस तरह मनाई जाती है और कैसे यह भारतीय संस्कृति की झलक प्रस्तुत करता है:

मलेशिया: विविधता का संगम

मलेशिया में दिवाली को “हरी दीपावली” कहा जाता है, और यह पर्व सामाजिक सद्भावना का प्रतीक है. यहां, सरकारी छुट्टी घोषित की जाती है ताकि सभी धर्मों के लोग इस त्योहार का आनंद ले सकें. परिवार और दोस्त एकत्र होकर रंग-बिरंगी मिठाइयों का सेवन करते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं. सामूहिक भोज और सांस्कृतिक कार्यक्रम, जैसे नृत्य और संगीत, इस पर्व की विशेषता हैं, जो समाज की एकता को दर्शाते हैं.

संयुक्त राज्य अमेरिका: सांस्कृतिक समर्पण

अमेरिका में भारतीय समुदाय ने दीपावली को अपने सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लिया है. न्यूयॉर्क से लेकर कैलिफ़ोर्निया तक, हर जगह दिवाली की रौनक दिखाई देती है. 2003 में व्हाइट हाउस में आयोजित पहले दीपावली समारोह ने इस पर्व को अमेरिकी समाज में लोकप्रियता दिलाई. यहां, रंग-बिरंगे पटाखों के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारतीय पारंपरिक नृत्य, संगीत और कला का प्रदर्शन होता है. यह सब मिलकर अमेरिका में भारतीय पहचान को मजबूत करता है.

नेपाल: एक परिवार की तरह

नेपाल में, दिवाली ‘तिहार’ या ‘स्वन्ति’ के रूप में मनाई जाती है, जो नववर्ष का प्रतीक है. यह पर्व पांच दिनों तक चलता है, जिसमें लोग दान देते हैं और पशु-पक्षियों की पूजा करते हैं. तिहार का यह पर्व न केवल धार्मिकता का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक जिम्मेदारी और प्राकृतिक संतुलन की भी भावना को उजागर करता है. नेपाल में इस पर्व के दौरान गहनों और फूलों से सजी दीपों की सजावट विशेष होती है.

सिंगापुर: सांस्कृतिक संगम

सिंगापुर में दिवाली पर राजपत्रित अवकाश होता है. यहां भारतीय तमिल समुदाय इस पर्व को धूमधाम से मनाता है, जिससे सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा मिलता है. सजावट के रूप में रंग-बिरंगे दीये और रोशनी सड़कों पर चारों ओर फैली होती है. बाजारों में विशेष छूट और उत्सव से जुड़ी वस्त्रों की खरीददारी लोगों को लुभाती है. सिंगापुर में दिवाली, विभिन्न संस्कृतियों का मिलाजुला रूप है.

मॉरीशस: सांस्कृतिक पहचान

मॉरीशस में, जहां भारतीय समुदाय की संख्या लगभग 44% है, दीपावली का पर्व बड़े उत्सव के साथ मनाया जाता है. यहां दीपावली के दिन सार्वजनिक अवकाश होता है, और लोग इसे पारिवारिक उत्सव के रूप में मनाते हैं. हिंदी भाषा का प्रचलन भी सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है, जिससे भारतीय परंपराओं की झलक यहां के समाज में देखी जा सकती है.

श्रीलंका: एकता की भावना

श्रीलंका में भी दिवाली का पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. महालक्ष्मी की पूजा के साथ दीप जलाए जाते हैं, और लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं. यहां, दिवाली न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह सांस्कृतिक एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है. दीपावली का पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक विविधता, सामाजिक एकता और वैश्विक मानवीय मूल्यों का प्रतीक है. विभिन्न देशों में इसे मनाने के तरीके, स्थानीय परंपराओं और सांस्कृतिक तत्वों के साथ मिश्रित होकर, यह पर्व एक नया रूप धारण करता है.

दिवाली का यह उत्सव हमें यह सिखाता है कि खुशियां बांटना, एक-दूसरे का सम्मान करना और सांस्कृतिक विविधता का उत्सव मनाना हर समाज के लिए आवश्यक है. यह हमें याद दिलाता है कि त्योहारों का असली महत्व केवल भौतिक उपहारों में नहीं, बल्कि आपसी प्रेम और संबंधों की गहराई में है. इस प्रकार, दिवाली न केवल एक व्यक्तिगत अनुभव व उत्सव है, बल्कि एक साझा मानवता का सामाजिक उत्सव भी है.

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