Electoral Bonds: ’26 दिन तक अदालत के आदेश पर क्या करती रही SBI?’ चेतावनी देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने की ये 5 बड़ी टिप्पणी

Electoral Bonds: सीजेआई ने आगे कहा, 'हमने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बांड को अवैध घोषित किया क्योंकि इसमें लोगों से अहम जानकारी छिपाई जा रही थी.'
Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट

Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट ने SBI के उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण जमा करने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने की मांग की गई थी. कोर्ट ने SBI से 12 मार्च को कामकाजी समय समाप्त होने तक चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करने को कहा है. कोर्ट ने अपने आदेश में बैंक को चेतावनी दी है कि अगर वह निर्धारित समय के अंदर भारत निर्वाचन आयोग से डिटेल साझा नहीं करता है तो अवमानना की कार्रवाई होगी.

याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने बताया, “सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझा और SBI को कल तक सभी दस्तावेज जमा करने के कड़े निर्देश दिए. यह बहुत अच्छा फैसला है, मैं इसका स्वागत करती हूं.” सोमवार को फैसला सुनाते वक्त सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने एसबीआई को कड़ी फटकार लगाई है. इस दौरान अदालत ने पूछा- ‘SBI ने 26 दिनों तक क्या किया.’

लेकिन इस मामले की सुनवाई के दौरान एसबीआई की दलीलों पर कई सख्त टिप्पणी की. वकील हरीश साल्वे ने बैंक की दलील रखते हुए कहा, ‘हमने अतिरिक समय का अनुरोध किया है. हमें आंकड़ा देने में कोई समस्या नहीं है, केवल उन्हें व्यवस्थित करने में कुछ समय लगेगा. हमें पहले बताया गया था कि यह गुप्त रहेगा. इसलिए बहुत कम लोगों के पास इसकी जानकारी थी.’

क्या समस्या आ रही है- सीजेआई

इसपर CJI ने कहा, ‘हमने पहले ही SBI को आंकड़ा जुटाने को कहा था. उस पर अमल किया गया होगा फिर क्या समस्या आ रही है. हमने उसे व्यवस्थित करने के लिए नहीं कहा था.’ वहीं हरीश साल्वे की एक और दलील पर जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘जहां तक हमें जानकारी है आपके पास सील लिफाफे में सारी चीजें हैं, सील खोलिए और आंकड़ा उपलब्ध करवाइए. इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.’

जब बैंक की ओर से दलील पेश करते हुए हरीश साल्वे ने कहा, ‘हमने अगर सही तरीके से आंकड़ा नहीं दिया तो क्रेता हम पर मुकदमा कर सकता है.’ तब सीजेआई ने कहा, ‘ठीक है. अब तक हमें जो चुनाव आयोग ने उपलब्ध करवाया है, उसे हम अभी सार्वजनिक कर देते हैं. आप बाकी मिलान करते रहिएगा.’

छिपाई जा रही थी जानकारी- CJI

सीजेआई ने आगे कहा, ‘हमने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बांड को अवैध घोषित किया क्योंकि इसमें लोगों से अहम जानकारी छिपाई जा रही थी. हमने SBI को निर्देश दिया था कि वह 6 मार्च तक दानदाता की तरफ से बांड की खरीद और राजनीतिक पार्टी की तरफ से उसे कैश करने की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को दें.’

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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा, ‘चुनाव आयोग को यह आंकड़ा 13 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना था.’ उन्होंने अपने आदेश में कहा, ‘हम SBI का आवेदन खारिज कर रहे हैं. कल यानी 12 मार्च तक उपलब्ध आंकड़ा दें. चुनाव आयोग 15 मार्च तक उसे प्रकाशित करे. हम अभी SBI पर अवमानना की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. लेकिन अब पालन नहीं किया तो अवमानना का मुकदमा चलाएंगे.’

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