संविधान पर चर्चा: वित्त मंत्री बोलीं- MISA पर बच्चों का नाम रखने वाले नेताओं को जानती हूं, नेहरू के खिलाफ कविता पढ़ने पर जेल भेजा
Nirmala Sitharaman: राज्यसभा में आज से संविधान पर दो दिन की चर्चा शुरू हुई है. सरकार की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस चर्चा की शुरुआत की. वित्त मंत्री ने संविधान पर हमले का आरोप लगाते हुए कांग्रेस और उसके सहयोगियों को जमकर घेरा. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी सहित पूर्व कांग्रेस नेताओं पर तीखा हमला किया. वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने जो संविधान संशोधन किए, वो लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं थे, बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की रक्षा के लिए थे.
सहयोगियों के बहाने कांग्रेस पर हमला
निर्मला सीतारमण ने कहा, “मैं ऐसे राजनीतिक नेताओं को जानती हूं जिन्होंने उन काले दिनों को याद करने के लिए अपने बच्चों का नाम MISA के नाम पर रखा है और अब उन्हें उनके साथ गठबंधन करने में भी कोई आपत्ति नहीं होगी.”
नेहरू विरोधी कविता के लिए मजरूह सुल्तानपुरी को जेल भेजा- सीतारमण
निर्मला सीतारमण ने कहा, “मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी दोनों को 1949 में जेल में डाल दिया गया था. 1949 में मिल मजदूरों के लिए आयोजित एक बैठक के दौरान मजरूह सुल्तानपुरी ने एक कविता पढ़ी, जो जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ लिखी गई थी, और इसलिए उन्हें जेल जाना पड़ा.”
वित्त मंत्री ने आगे बताया कि उन्होंने इसके लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया और उन्हें जेल में डाल दिया गया. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का कांग्रेस का रिकॉर्ड इन दो लोगों तक ही सीमित नहीं है. 1975 में माइकल एडवर्ड्स द्वारा लिखी गई एक राजनीतिक जीवनी “नेहरू” पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. उन्होंने “किस्सा कुर्सी का” नामक फिल्म पर भी सिर्फ इसलिए प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे पर सवाल उठाया गया था.
‘बोलने की आजादी के खिलाफ पहला संशोधन लाई कांग्रेस‘
विपक्षी दलों की ओर से बीजेपी सरकार पर अभिव्यक्ति की आजादी छीनने का आरोप लगाया जाता है. वित्त मंत्री ने इस पर इतिहास याद दिलाकर कांग्रेस पर हमला बोला. उन्होंने कहा, ”26 नवंबर 1949 को संविधान लागू हुआ और मात्र छह महीने बाद ही ‘बोलने की स्वतंत्रता’ पर लगाम लगाने के लिए पहला संशोधन लाया गया था… और हां, पहला चुनाव तब तक हुआ भी नहीं था.”
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‘संविधान समय की कसौटी पर खरा उतरा‘
निर्मला सीतारमण ने कहा, “द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 50 से अधिक देश स्वतंत्र हो गए थे और उन्होंने अपना संविधान लिख लिया था. लेकिन कई लोगों ने अपने संविधान को बदल दिया है, न केवल उनमें संशोधन किया है बल्कि वस्तुतः उनके संविधान की संपूर्ण विशेषता को बदल दिया है. लेकिन हमारा संविधान निश्चित रूप से समय की कसौटी पर खरा उतरा है और इसमें कई संशोधन हुए हैं.”