देश में मिला मंकीपॉक्स क्लेड-1 वेरिएंट का पहला मामला, इस वायरस को वर्ल्ड इमरजेंसी घोषित कर चुका है डब्लूएचओ
Monkeypox In Kerala: भारत में भी एमपॉक्स का पहला केस सामने आया है. केरल के मलप्पुरम जिले के एक 38 वर्षीय युवक ने एमपॉक्स का क्लैड 1 बी स्ट्रेन पाया गाया है. युवक हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लौटा था. मरीज की हालत स्थिर बताई जा रही है. लगातार बढ़ रहे एमपॉक्स को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया था.
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने मामला सामने आने के बाद विदेश से लौटने वाले लोगों से कोई भी लक्षण दिखने पर स्वास्थ्य विभाग को सूचित करने और इलाज कराने की अपील की है. सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने राज्यभर के उन सरकारी अस्पतालों की सूची जारी की, जहां पर एमपॉक्स से प्रभावित व्यक्तियों के उपचार और क्वारंटीन सुविधा की व्यवस्था की गई है.
राज्य के हवाई अड्डों पर बढ़ी निगरानी
मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में इलाज उपलब्ध है. इसके साथ ही केरल के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के हवाई अड्डों पर निगरानी बढ़ा दी है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जिन देशों में संक्रमण की सूचना मिली थी, वहां से आने वाले लोगों को निर्देश दिया गया है कि अगर उनमें कोई लक्षण हैं तो वे हवाई अड्डे पर रिपोर्ट करें. 2022 में एमपॉक्स के प्रकोप के बाद केरल ने एक मानक संचालन प्रक्रिया तय की थी.
इसके अनुसार संक्रमितों को क्वारंटीन करने, सैंपल लेने और उपचार का इंतजाम किया गया. स्वास्थ्य मंत्री जॉर्ज ने प्रभावित व्यक्तियों के नमूनों को संभालने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को संक्रमण नियंत्रण सावधानियों का सख्ती से पालन करने के लिए आगाह किया है.
1958 में बंदरों में हुई थी एमपॉक्स की पहचान
एमपॉक्स वायरस की पहचान सबसे पहले 1958 में बंदरों में हुई थी (इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया). इंसानों में पहली बार 1970 के दशक में इसका केस सामने आया था. वैसे तो ये अफ्रीकी देशों में अधिक आम था, हालांकि अब संयुक्त राज्य अमेरिका, यूके सहित कई एशियाई देशों में भी पहुंच गया है.