Manmohan Singh: जब चाहकर भी प्रधानमंत्री रहते हुए अपने पुश्तैनी घर नहीं जा सके थे मनमोहन, यह इच्छा रह गई थी अधूरी

Manmohan Singh: देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया. उनसे जुड़ा एक किस्सा है, जब वह प्रधानमंत्री रहते हुए चाहकर भी अपने पुश्तैनी घर नहीं जा सके थे.
manmohan_singh

पूर्व PM मनमोहन सिंह

Manmohan Singh: 26 दिसंबर 2024 की रात भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया. 92 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 10 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें गुरुवार शाम दिल्ली के AIIMS अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली. मनमोहन सिंह PM रहते हुए अपने पुश्तैनी घर नहीं जा पाए. उनकी इच्छा थी, लेकिन वह इसे पूरा नहीं कर सके.

अपने पुश्तैनी घर नहीं जा सके मनमोहन

मनमोहन सिंह का जन्म साल 1932 को अविभाजित भारत में हुआ था. उनके गांव का नाम गाह है, जो अब पाकिस्तान में पड़ता है. यह पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से करीब 100 KM दूर है. मनमोहन ने अपने पुश्तैनी गांव के प्राइमरी स्कूल में चौथी तक की शिक्षा ली थी.

दादा की हत्या के बाद कभी नहीं गए गांव

एक इंटरव्यू के दौरान कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने बताया था कि मनमोहन जब बहुत छोटे थे, तब उनकी मां का निधन हो गया था. इसके बाद उनके दादा ने उन्हें पाला. जब दंगों में उनके दादा की हत्या कर दी गई तो वह घटना उनके मन में घर कर गई. इसके बाद मनमोहन कभी अपने गांव नहीं गए.

स्कूल देखने की थी इच्छा

राजीव शुक्ला ने इंटव्यू में आगे बताया कि मनमोहन सिंह ने एक बार उनसे पाकिस्तान जाने की बात कही थी. जब राजीव ने सवाल पूछा कि पाकिस्तान में कहां तो मनमोहन ने जवाब दिया था कि वह अपने गांव जाना चाहते हैं. उस स्कूल को देखना चाहते हैं, जहां चौथी तक पढ़ाई की थी.

ये भी पढ़ें- नहीं रहे देश के पूर्व PM मनमोहन सिंह, दिल्ली एम्स में ली आखिरी सांस

कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने इंटरव्यू के दौरान यह भी बताया था कि मनमोहन सिंह एक बार अपने पाकिस्तानी दोस्त के साथ रावलपिंडी गए थे. वहां उस गुरुद्वारे भी गए, जहां बचपन में बैसाखी के दिन जाते थे, लेकिन अपने गांव नहीं गए.

पाकिस्तान में मनमोहन सिंह के नाम पर स्कूल का नाम

डॉ. मनमोहन सिंह ने देश के प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ एक चिट्ठी लिखी थी. इस पत्र में उन्हें अपने गांव में विकास करने की बात कही थी. इसके बाद उनके गांव में खूब विकास कार्य किया गया. साथ ही जिस स्कूल में मनमोहन पढ़ते थे, उसका नाम ‘मनमोहन सिंह गवर्नमेंट बॉयज प्राइमरी स्कूल’ रखा गया.

ज़रूर पढ़ें