सरकारी नौकरी के साथ लाखों का बिजनेस, रायबरेली के फार्मासिस्ट की काली कमाई का भंडाफोड़, अब नपेंगे साहब!
-आफताब खान
UP News: रायबरेली के डलमऊ स्थित राजकीय होम्योपैथिक अस्पताल में तैनात एक फार्मासिस्ट का मामला इन दिनों सुर्खियों में है. अबू तालिब नामक यह व्यक्ति सरकारी नौकरी के साथ-साथ एक प्राइवेट हेल्थकेयर कंपनी से लाखों रुपये कमा रहे हैं. अबू तालिब सरकारी नौकरी में फार्मासिस्ट के पद पर तैनात हैं और सरकार से वेतन प्राप्त करते हैं, लेकिन उनकी असल कमाई एक प्राइवेट कंपनी वेस्टीज हेल्थकेयर से हो रही है. इस कंपनी के जरिए वह न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी अपने बिजनेस को बढ़ा रहे हैं.
अबू तालिब इस कंपनी में डॉक्टर के तौर पर काम करते हैं और स्वास्थ्य से जुड़े सप्लीमेंट्स को दवा बताकर बेचते हैं. इसके लिए वह नेपाल, लखनऊ, बहराइच, गोरखपुर जैसे शहरों में भी मंचों पर जाते हैं और इस प्राइवेट कंपनी का प्रचार करते हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि वह सरकारी अस्पताल में तैनात होने के बावजूद इन जगहों पर अपने निजी कारोबार को बढ़ाने का काम करते हैं.
क्या है मामला?
दावा किया जा रहा है कि अबू तालिब ने वेस्टीज हेल्थकेयर का रजिस्ट्रेशन अपने पिता के नाम पर करवा लिया है ताकि सरकारी विभाग को कोई शक न हो. इस तरह से कंपनी से होने वाली सभी आय उनके पिता के खाते में जाती है, जबकि असल में यह पूरी कमाई अबू तालिब की है. सरकारी नौकरी और प्राइवेट कारोबार दोनों को साथ चलाना तो नियमों के खिलाफ है, लेकिन अबू तालिब ने यह तरीका अपनाया ताकि यह मामला विभाग की नजरों से बचा रहे.
मीडिया के हाथ अबू तालिब के कई वीडियो लगे हैं, जिनमें वह खुले मंचों पर वेस्टीज हेल्थकेयर के उत्पादों को बेचने की बातें कर रहे हैं और लोगों को पैसे कमाने के तरीके सिखाते दिख रहे हैं. इसके बाद यह सवाल उठता है कि इतने सालों से अबू तालिब अस्पताल में काम करते हुए भी कैसे अपने बिजनेस को बढ़ा रहे थे, जबकि विभाग को इस बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी?
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क्या विभाग को कुछ मालूम नहीं था?
अबू तालिब का यह कारोबार बढ़ता गया, लेकिन विभाग को कानो कान खबर नहीं लगी. ऐसा कैसे हो सकता है कि एक सरकारी कर्मचारी लंबे समय तक अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित रहे और विभाग को पता न चले? क्या विभाग के कुछ अधिकारी भी इससे लाभ उठा रहे थे या फिर अबू तालिब का नेटवर्क इतना मजबूत था कि वह छुपकर यह काम करते रहे?
जिला प्रशासन ने लिया एक्शन
अब इस मामले की जानकारी जिला प्रशासन को हुई है. जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने कड़ा रुख अपनाते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने होम्योपैथी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से मामले की जांच करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. यह मामला अब विभाग की ओर से गंभीरता से लिया जा रहा है और इसके खिलाफ जल्द ही कार्रवाई हो सकती है.