Haryana Election 2024: हरियाणा में कहां है कांटे की टक्कर, इन मुद्दों ने बढ़ाई बीजेपी की टेंशन!
Haryana Election 2024: हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर माहौल तैयार है. लगातार दो बार से राज्य की सत्ता बीजेपी जरूर बनी हुई है, लेकिन अब उसके सामने कई चुनौतियां भी हैं, जिससे कांग्रेस की उपस्थिति को भी मजबूती मिलता हुआ नजर आ रहा है. मुकाबला पूरी तरह बीजेपी बनाम कांग्रेस का बना हुआ है. वहीं इनेलो और जेजेपी स्थानीय पार्टी की भूमिका में हैं. इस बार चुनाव में कई ऐसे सियासी मुद्दे बन चुके हैं जो किसी भी पार्टी के लिए हार-जीत तय कर सकते हैं. चाहे अग्निवीर हो या फिर किसान आंदोलन, बात चाहे रेसलरों के संघर्ष की हो या फिर जाटों की नाराजगी, हर मुद्दा सियासी है और उस पर हो रही राजनीति चरम पर है.
हरियाणा की जब भी बात की जाती हैं, तो कुछ ऐसी सीटें जरूर रहती हैं जिन्हें हाई प्रोफाइल की कैटेगरी में रखा जा सकता है. यह वो सीटें हैं जहां पर मुकाबला भी कड़ा रहता है और उन सीटों का नतीजा दूसरी कई आसपास की सीटों पर भी अपना प्रभाव रखता है. ऐसी ही कुछ सीटों पर नजर डालते हैं.
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अंबाला कैंट सीट का हाल
साल 1967 में अस्तित्व में आया अंबाला सीट पर बीजेपी का तगड़ा प्रभाव देखने को मिलता है. पार्टी के दिग्गज नेता अनिल विज पांच बार लगातार इसी सीट से चुनाव जीत चुके हैं. पिछली बार भी उन्होंने ही जीत का परचम लहराया था. अगर पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे की बात करें तो अंबाला कैंट सीट पर अनिल विज को 64571 वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस के वेदु सिंगल को 57948 वोट हासिल हुए थे. इसी तरह आईएनएलडी के चित्रा सरवारा को 52017 वोट मिले थे.
लाडवा सीट से लड़ सकते हैं सीएम सैनी
हरियाणा की लाडवा सीट भी इस बार चर्चा का विषय बनी हुई है.उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सैनी को लेकर कहा जा रहा है कि वह इस सीट से ताल ठोक सकते हैं. अगर ऐसा हो जाता है तो इस सीट पर मुकाबला काफी कड़ा और दिलचस्प बन जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछली बार कांग्रेस ने बीजेपी को इस सीट पर एक बड़े अंतर से हराया था. लाडवा सीट की बात करें तो यह कोई बहुत पुरानी नहीं है. 2008 में परिसीमन के बाद यह अस्तित्व में आई थी. अगर 2008 में आईएनएलडी ने इस सीट से जीत का खाता खोला था तो 2014 के रण में बीजेपी के पवन सिंह ने जीत हासिल की. लेकिन 2019 आते-आते सीट पर समीकरण बदले और कांग्रेस ने इस सीट पर अपना कब्जा जमा लिया है.
करनाल सीट पर दिख सकती है कड़ी टक्कर
हरियाणा की करनाल सीट से वर्तमान में नायब सैनी विधायक हैं जो राज्य के मुख्यमंत्री भी हैं. बड़ी बात यह है कि यहां से पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर दो बार विधायक रह चुके हैं. 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में मनोहर लाल खट्टर ने इसी करनाल सीट से बड़ी जीत हासिल की थी. चुनावी आंकड़े बताते हैं चार बार बीजेपी तो चार बार कांग्रेस को भी इस करनाल सीट पर जीतने का मौका मिला है. यह देखना दिलचस्प होगा कि करनाल सीट से बीजेपी किसे उतरती है. पिछले विधानसभा चुनाव नतीजे की बात करें तो करनाल में मनोहर लाल खट्टर को 79906 वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस के तरलोचन सिंह को 34718 वोट हासिल हुए. इसी तरह तीसरे नंबर पर जेजेपी के तेज बहादुर रहे जिन्हें मात्र 3192 वोटो से संतुष्ट होना पड़ा.
दादरी सीट से विनेश फोगाट की नाम पर चर्चा
हरियाणा की दादरी सीट भी इस बार चर्चा का विषय बनी हुई है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सियासी बाजार में ऐसी अटकलें चल पड़ी है कि विनेश फोगाट भी चुनावी मैदान में इस बार उतार सकती हैं और अगर उन्होंने अपना सियासी डेब्यू किया तो वे दादरी सीट से ऐसा कर सकती हैं. समझने वाली बात यह है 2019 के विधानसभा चुनाव में इसी दादरी सीट से बीजेपी की बबीता फोगाट ने जीत हासिल की थी. वही 2014 के चुनाव में इनेलो के राजदीप ने इसी दादरी सीट पर बड़े अंतर से जीत हासिल की थी.
हरियाणा में चुनाव के मुद्दे
हरियाणा चुनाव में कई ऐसे मुद्दे इस बार सुर्खियां बटोर रहे हैं। यह सारे वो मुद्दे हैं जिन पर सियासत जमकर हो रही है, माना जा रहा है कि कई मुद्दे इस बार हार-जीत भी तय कर जाएंगे. अग्निवीर से लेकर किसानों के मुद्दे, रेसरल से लेकर बेरोजगी के मुद्दे पर इस बार का चुनाव लड़ा जा रहा है.
अग्निवीरों का मुद्दा
हरियाणा चुनाव में इस बार कई बड़े मुद्दे देखने को मिल रहे हैं लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा अग्निवीर की हो रही है. हरियाणा से देश की सेना में कई जवान निकलते हैं. इसी वजह से अग्नि वीर योजना को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा भी इसी राज्य में देखने को मिली है. विपक्ष की तरफ से आरोप लगाया जाता है इस योजना की वजह से युवाओं के साथ भेदभाव हो रहा है, सेना में उन्हें उचित स्थान नहीं मिल पा रहा. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो लोकसभा चुनाव के दौरान से ही इस मुद्दे को जिस ढंग से उठाया है, उस वजह से कई बार बीजेपी बैक फुट पर देखी है. वैसे डैमेज कंट्रोल करते हुए केंद्र सरकार ने BSF-CISF में अग्निवीरों को मिलेगा 10% आरक्षण देने के फैसले को मंजूरी दे दी है.
बीजेपी को परेशान कर सकता है पहलवानों का मुद्दा
हरियाणा चुनाव में इस बार रेसलरों का मुद्दा भी बीजेपी के लिए एक बड़ी सिरदर्दी बन चुका है. कहने को विनेश फोगाट का ओलंपिक में हारना राजनीति से जुड़ा मुद्दा नहीं है, लेकिन क्योंकि ऐसी अटकलें चल पड़ी है कि फोगाट भी अपना सियासी डेब्यू कर सकती हैं, इस वजह से हरियाणा में यह भी एक मुद्दा बनता हुआ दिख रहा है. इसके ऊपर जिस तरह से विनेश फोगाट खुद अब किसानों का मुद्दा उठा रही हैं, बीजेपी इसे अपने लिए शुभ संकेत नहीं मानती. इसके ऊपर हरियाणा को क्योंकि पहलवानों की धरती भी माना जाता है, इस वजह से बृजभूषण विवाद की छाप भी यहां पर देखने को मिल सकती है.
किसानों का मुद्दा कितना असरदार
किसानों का मुद्दा भी इस बार के हरियाणा चुनाव में अहम रहने वाला है. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि किसानों का एक बड़ा वर्ग बीजेपी से नाराज है. पहले तो तीन कृषि कानून की वजह से जबरदस्त विरोध प्रदर्शन देखने को मिल चुका है, हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी जिस तरह से कुछ भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ किसानों ने अपनी आवाज बुलंद की थी, यह बताने के लिए काफी रहा कि जमीन पर नाराजगी अभी काम नहीं हुई है.