महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़, दबाव में रेलवे
ट्रेनों में भारी भीड़
शिवपूजन सिंह
Mahakumbh 2025: प्रयागराज, महाकुंभ नगरी में इस बार का सैलाब कुछ अलग ही दिख रहा है. जहां एक ओर महाकुंभ के प्रमुख स्नान पर्व समाप्त हो चुके हैं, वहीं श्रद्धालुओं की भीड़ थमने का नाम नहीं ले रही है. ना सड़कें खाली हो रही हैं, ना ट्रेनें. एक तरफ कुम्भ में आस्था की लहर देखी जा रही है, तो दूसरी ओर रेलवे जंक्शन और आसपास के स्टेशनों पर श्रद्धालुओं का सैलाब हाहाकार मचा रहा है.
ट्रेनें भी फेल!
अब तो हालत ये हो गई है कि ट्रेनें भी बाहर के स्टेशनों पर रोकनी पड़ रही हैं. महाकुंभ 2025 को लेकर रेलवे विभाग ने अतिरिक्त ‘मेला स्पेशल’ ट्रेनें चलाने का इंतजाम किया था, लेकिन श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के सामने ये भी नाकाफी साबित हो रही हैं. प्रयागराज जंक्शन, सूबेदारगंज, छिवकी, झूंसी और फाफामऊ जैसे स्टेशन श्रद्धालुओं से पूरी तरह भर चुके हैं, और अब इन जगहों पर यात्री व्यवस्थाओं को संभालना रेलवे के लिए चुनौती बन चुका है.
धैर्य और आस्था की परीक्षा
लोगों का कहना है, “यह तीर्थ यात्रा है, थोड़ी दिक्कत तो होगी ही!” और इसी विश्वास और आस्था के साथ वो घंटों ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं, तो कहीं अपनी जगह पाने के लिए पार्किंग से 10-20 किलोमीटर तक पैदल चलने को तैयार हैं. पैदल चलने वाले श्रद्धालु भी मुस्कान के साथ इस यात्रा की चुनौती को स्वीकार कर रहे हैं.
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स्टेशनों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम
रेलवे ने यात्रियों के प्रवेश और निकासी को नियंत्रित करने के लिए नए सुरक्षा उपाय लागू किए हैं. प्रमुख स्नान पर्व के दो दिन पहले से लेकर दो दिन बाद तक ये नियम लागू किए गए थे, लेकिन श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखकर इन्हें और भी लंबा कर दिया गया है.
लाखों यात्री, हजारों ट्रेनें!
महाकुंभ 2025 में अब तक 14 फरवरी को सुबह 12 बजे तक 140 ट्रेनें चलाई गईं, जिससे 4.22 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने यात्रा की. वहीं, 13 फरवरी को कुल 330 गाड़ियां चलाने के बाद 11 लाख से ज्यादा यात्री भी इस कुम्भ की सवारी कर चुके हैं. इस बार महाकुंभ में आस्था और विश्वास की कोई सीमा नहीं दिख रही है!