‘धर्म-जाति में नहीं करता भेदभाव…’, नितिन गडकरी बोले- मैं अपनी शर्तों पर करता हूँ काम

Nitin Gadkari: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वह धर्म और जाति को सार्वजनिक चर्चा में नहीं लाते. जाति/धर्म पर कभी भेदभाव नहीं करते. राजनीति में हूं और यहां बहुत सी बातें कही जाती हैं. लेकिन मैंने अपनी शर्तों पर काम करने का फैसला किया. मुझे इस बात की चिंता नहीं की कि मुझे कौन वोट देगा.
Nitin Gadkari

नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री

Nitin Gadkari: कर्नाटक में बजट में सरकारी ठेकों में मुस्लिम समुदाय को 4% आरक्षण देने का मामला गर्माता जा रहा है. कर्नाटक सरकार के इस फैसले के खिलाफ भाजपा लगातार हमलावर हो रही है. इसी बीच शनिवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वह धर्म और जाति को सार्वजनिक चर्चा में नहीं लाते. जाति/धर्म पर कभी भेदभाव नहीं करते. राजनीति में हूं और यहां बहुत सी बातें कही जाती हैं. लेकिन मैंने अपनी शर्तों पर काम करने का फैसला किया. मुझे इस बात की चिंता नहीं की कि मुझे कौन वोट देगा.

बता दें कि नितिन गडकरी शनिवार को एक अल्पसंख्यक संस्थान के दीक्षांत समारोह के कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने अल्पसंख्यकों को संबोधित करते हुए कहा- ‘मैं धर्म और जाति को सार्वजनिक चर्चा में नहीं लाता. मेरा मानना है कि लोगों की सेवा यानी समाज सेवा हर चीज से ऊपर है.

गडकरी ने आगे अपनी बात करते हुए पिछले साल लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए अपने बयान को याद करते हुए कहा कि ‘जो करेगा जात की बात, उसको कास के मारूंगा लात.’ उन्होंने आगे कहा- ‘हम इन जाति/धर्म पर कभी भेदभाव नहीं करते. मैं राजनीति में हूं और यहां बहुत सी बातें कही जाती हैं. लेकिन मैंने अपनी शर्तों पर काम करने का फैसला किया. मुझे इस बात की चिंता नहीं की कि मुझे कौन वोट देगा.’

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गडकरी ने आगे कहा- ‘मेरे दोस्तों ने कहा कि आपको ऐसा नहीं कहना चाहिए था, लेकिन मैंने जीवन में इस सिद्धांत के साथ जीने का फैसला किया. अगर मैं चुनाव हार गया या मुझे मंत्री पद नहीं मिला तो मैं मर नहीं जाऊंगा. एमएलसी रहते हुए अंजुमन-ए-इस्लाम संस्थान (नागपुर) को इंजीनियरिंग कॉलेज की अनुमति दी, क्योंकि इसकी अधिक आवश्यकता थी.’

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उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुस्लिम समुदाय से अधिक इंजीनियर, आईपीएस और आईएएस अधिकारी आएंगे, तो सभी प्रगति करेंगे. हमारे पास पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण है. उन्होंने कहा कि आज हजारों छात्र अंजुमन-ए-इस्लाम के बैनर तले इंजीनियर बन चुके हैं. अगर उन्हें पढ़ने का अवसर नहीं मिलता, तो कुछ भी नहीं होता. शिक्षा की यही ताकत है.

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