IC 814 प्लेन हाईजैक पर पूर्व मंत्री के बेटे का बड़ा खुलासा, मानवेंद्र सिंह जसोल ने बताई क्या थी ‘लाल सूटकेस’ की कहानी
IC 814 Web Series: ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर 29 अगस्त को रिलीज हुई ‘IC 814 द कंधार हाइजैक’ को लेकर तमाम विवादों के बीच पूर्व विदेश मंत्री जसवंतसिंह जसोल के बेटे और पूर्व सांसद और विधायक मानवेंद्र सिंह जसोल ने बड़ा खुलासा किया है. एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में मानवेंद्र सिंह जसोल ने कहा कि IC 814 हाइजैक यात्री विमान को आतंकियों से आजाद करवाने के लिए भारत का एक विमान हवा में ही था, जिसमें एनएसजी कमांडो सवार थे. अगर दुबई ऑपरेशन की परमिशन देता तो भारत वहां ऑपरेशन कर सकता था, लेकिन दुबई ने भारत को इसकी परमिशन नहीं दी थी.
मानवेंद्र सिंह ने कहा, “भारत का कुछ दबाव काम आया. यही वजह रही कि फ्यूल भरवाने के एवज में महिलाओं और बच्चों को विमान से उतारा गया. साथ ही एक मृत पैसेंजर का शव भी वहीं उतारा जा सका.”
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लाल सूटकेस पर क्या बोले मानवेंद्र सिंह?
मानवेंद्र सिंह जसोल ने पहली बार लाल सूटकेस वाले आरोप पर बड़ा खुलासा करते हुए कहा, “हाइजैकर की डिमांड को लेकर सरकार ऑप्शन ढूंढ रही थी. शायद कुछ रास्ता निकल आए. रुपयों के लेनदेन जैसी बात नहीं थी. मानवेंद्र सिंह ने बिना नाम लिए एक राज्यसभा सांसद पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि ‘लाल सूटकेस ले जाने जैसी कोई बात नहीं थी. एक राज्यसभा सांसद ने इस तरह की बातों को हवा दी. उसके बाद से ही लाल सूटकेस को लेकर आलोचना की जा रही है.”
मानवेंद्र सिंह ने कहा, “मैं स्वयं दाता (पिताजी को) एयरपोर्ट छोड़ने गया था. एक ब्रीफकेस वो हमेशा अपने साथ रखते थे, जिसमें पूजा की सामग्री और माला हुआ करते थे, लेकिन वो ब्रीफकेस भी वो उस दिन नहीं लेकर गए थे. कहने वाले कुछ भी कहेंगे.”
“जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं था”
मानवेंद्र सिंह ने कहा, “IC 814 यात्री विमान के हाइजैक के बाद जब यात्री विमान को आतंकी कंधार ले गए, तब कंधार की ओर से आतंकियों की रिहाई की मांग के साथ किसी कैबिनेट मंत्री को भी समझौता कराने के लिए कंधार बुलावा आया, लेकिन उस वक्त कोई इस तरह की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं था. विदेश मंत्री रहते हुए दाता (जसवंतसिंह जसोल) ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. यही धर्म था.”
“भारत ने दुबई पर काफी दबाव बनाया था”
मानवेंद्र सिंह ने कहा, “जब तक यात्री विमान अमृतसर में था, तब तक विदेश मंत्रालय का कोई रोल नहीं था. ये नगरीय उड्डयन की जिम्मेदारी थी. विमान के साथ अगर देश के नागरिक अपहृत थे. ये आंतरिक सुरक्षा के चलते गृह विभाग की जिम्मेदारी बनती थी. विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी तो तब बनी जब विमान पाकिस्तान और फिर दुबई पहुंचा. उन्होंने कहा कि दुबई में विमान मिलिट्री एयर स्टेशन कर लैंड हुआ था. भारत ने दुबई पर काफी दबाव भी बनाया.
इसी वजह से महिलाओं और बच्चों को दुबई में रिहाई भी मिली, लेकिन भारत का कुछ दबाव ही काम आया. हमारा एक विमान हवा में ही था. अगर दुबई में ही ऑपरेशन की परमिशन मिलती तो शायद भारत को आतंकियों को छोड़ना नहीं पड़ता, लेकिन देश के नागरिकों की सुरक्षा से बड़ा भारत के लिए उस वक्त कुछ नहीं था.”