भारत में पहली बार आयोजित होगा अंतर्राष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन, IFFCO के चेयरमैन दिलीप संघानी ने विस्तार न्यूज़ से की विशेष बातचीत
ICA Global Conference: अंतर्राष्ट्रीय सहकारी आंदोलन की शुरुआत को करीब 130 साल हो चुके हैं, और इस लंबे सफर में पहली बार ऐसा हो रहा है कि दुनियाभर के सहकारी संगठनों का प्रमुख सम्मेलन भारत में आयोजित किया जा रहा है. यह ऐतिहासिक मौका भारतीय किसान उर्वरक सहकारी (IFFCO) की पहल पर, अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) के ग्लोबल कॉन्फ्रेंस के रूप में सामने आया है, जिसकी मेजबानी भारत सरकार कर रही है.
इस आयोजन की ख़ास बात ये है कि भारत, जो कृषि और सहकारी क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखता है, अब वैश्विक सहकारी मंच पर एक प्रमुख भूमिका निभाने जा रहा है. इस मौके से पहले, IFFCO के चेयरमैन दिलीप संघानी ने विस्तार न्यूज़ से विशेष बातचीत की, जहां उन्होंने बताया कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत तेज़ी से विकास की ओर बढ़ रहा है और सहकारी आंदोलन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी कर रहा है.
भारत में पहली बार आयोजित होगा अंतर्राष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन! IFFCO के चेयरमैन दिलीप संघानी ने विस्तार न्यूज़ से की विशेष बातचीत, जानिए कैसे भारत सहकारी आंदोलन को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा…@Dileep_Sanghani @rakeshtweeets#CooperativeConference #IFFCO #India #VistaarNews pic.twitter.com/B5btSpfgaX
— Vistaar News (@VistaarNews) September 19, 2024
बातचीत के प्रमुख अंश:
सवाल- इंटरनेशनल को-ऑपरेटिव अलायंस की ग्लोबल मीटिंग भारत में हो रही है. इसे आप कितनी बड़ी उपलब्धि मानते हैं?
जवाब- भारत ने 130 साल बाद अंतरराष्ट्रीय सहकारी शिखर सम्मेलन की तैयारी कर दुनियाभर का ध्यान अपनी ओर खींचा है. यह सम्मेलन भारत के लिए सिर्फ गर्व की बात नहीं है, बल्कि दुनिया को नेतृत्व देने का एक महत्वपूर्ण मौका भी है. इस आयोजन के जरिए भारत यह दिखाने जा रहा है कि सहकारिता के ज़रिए आर्थिक क्रांति, समानता और एकजुटता कैसे लाई जा सकती है. भारत ने इस दिशा में एक नई राह तैयार की है जो न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है.
दुनिया में कई आर्थिक नीतियों का दौर देखा गया है, लेकिन सहकारिता की शक्ति ऐसी है, जो विकास के साथ-साथ सभी को साथ लेकर चलने में सक्षम है. यह केवल आर्थिक विकास ही नहीं, बल्कि समता और भाईचारे को बढ़ावा देने का रास्ता है. भारत इस सम्मेलन में दिखाएगा कि सहकारिता के माध्यम से किस तरह एक नई आर्थिक क्रांति लाई जा सकती है, जो समाज के हर तबके को साथ लेकर चलेगी.
सवाल- राष्ट्रीय सहकारिता नीति को लेकर आपकी क्या उम्मीदें हैं?
जवाब- राष्ट्रीय शासन नीति समिति का गठन इस उद्देश्य से किया गया था कि देश में सहकारी संगठनों की बेहतर संचालन व्यवस्था के लिए एक रिपोर्ट तैयार की जा सके. चुनावों के कारण इस रिपोर्ट को पेश करने में कुछ देरी हुई, लेकिन अब यह समिति अपने अंतिम चरण में है. जल्द ही इसे शासन मंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और फिर नीति की घोषणा की जाएगी. यह नीति सहकारिता के क्षेत्र में पारदर्शिता और समावेशिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
सवाल- पर्यावरण अनुकूल कृषि पर जोर दिया जा रहा है. इफको के लिए इसमें कितने अवसर हैं?
जवाब- आईपीसीओ (इंडियन पीपल्स कोऑपरेटिव ऑर्गनाइजेशन) ने हमेशा से पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काम किया है, चाहे वह किसी भी इकाई में हो. इस शिखर सम्मेलन के ज़रिए दुनिया को यह संदेश जाएगा कि भारत कार्बन संरक्षण के ज़रिए पर्यावरण की सुरक्षा कर रहा है. सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर भी यह पहल एक उदाहरण बनेगी.
सवाल- गुजरात, महाराष्ट्र, और तमिलनाडु में सहकारिता की जड़े मजबूत हैं, लेकिन छत्तीसगढ़, हरियाणा, यूपी, और मध्य प्रदेश में ऐसा नहीं दिखता. ऐसे में क्या प्रयास किए जाने चाहिए?
जवाब- इसे सुधारने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं. देश के पूर्वी हिस्से में सहकारिता को और मजबूत करने के लिए संस्थाओं के माध्यम से काम किया जा रहा है, और नई सरकार ने मल्टी-स्टेट सहकारी समाजों का विकास भी किया है, जिससे लगभग 2 लाख नई सहकारी संस्थाएं बन पाई हैं.
सवाल- मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले सौ दिनों को सहकारिता के नज़रिए से आप कैसे देखते हैं?
जवाब- मोदी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर सहकारी क्षेत्र में किए गए कामों की काफी सराहना की जा रही है. सहकारिता को प्राथमिकता देते हुए एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया गया है और इसकी जिम्मेदारी अमित शाह को सौंपी गई है. इस पहल से सहकारी समाजों को संगठित और सशक्त करने में मदद मिली है, जिससे देश के आर्थिक विकास में सहकारी क्षेत्र का बड़ा योगदान होगा.