हिंडनबर्ग के SEBI चीफ पर आरोप कहीं बदले की भावना से प्रेरित तो नहीं?
Hindenburg Report: हिंडनबर्ग रिसर्च एक बार फिर सुर्खियों में है और गौतम अडानी के बाद अब निशाने पर हैं मार्केट रेग्युलेटर सेबी की चीफ माधुरी पुरी बुच, जिन पर शॉर्ट सेलर फर्म ने अडानी ग्रुप से सांठगांठ के कई गंभीर आरोप लगाए हैं. हालांकि, इस बार भी अमेरिकी फर्म सेबी के कंधे पर बंदूक रखकर अडानी ग्रुप पर निशाना लगाते हुए नजर आ रही है. नई रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जिन ऑफशोर फंडों का इस्तेमाल अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल में हुआ, उसमें SEBI अध्यक्ष की हिस्सेदारी थी. लेकिन इस बीच सवाल खड़े हो रहे हैं कि ये महज एक बदले की भावना के चलते पब्लिश की गई रिपोर्ट हैं.
क्या अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट बदले की भावना से ग्रसित है? ये हम नहीं कह रहे, बल्कि कई मार्केट एक्सपर्ट्स के मन में यही सवाल उठ रहा है. इसके पीछे के कारण भी हैं, जो इस तरफ इशारा कर रहे हैं. इसके साथ ही Hindenburg का निशाना बनी सेबी चीफ माधबी पुरी बुच ने अपना स्पष्टीकरण देते हुए भी संकेत दिया कि SEBI द्वारा पूर्व में हिंडनबर्ग को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस के बाद ये महज उनका चरित्रहनन करने का प्रयास है. आइए इसे पांच पॉइंट में समझते हैं.
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SEBI ने अडानी ग्रुप को दे दी थी क्लीन चिट
अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में हेर-फेर समेत ग्रुप पर कर्ज को लेकर बीते साल 24 जनवरी 2023 को जारी की गई हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर मचे बवाल के बीच सुप्रीम कोर्ट में 4 PIL दाखिल की गई थीं, जिनमें अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच के आदेश जारी करने की अपील की गई थी. इन याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च, 2023 को SEBI को जांच करने का आदेश दिया था. इसके बाद 25 अगस्त, 2023 को SEBI ने अडानी ग्रुप को क्लीन चिट दे दी थी. ये हिंडनबर्ग के लिए बड़ा झटका था.
सेबी ने हिंडनबर्ग पर लगाए थे कई आरोप
बीते साल 25 अगस्त, 2023 को SEBI की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सौंपी गई रिपोर्ट मार्केट रेग्युलेटर ने बताया था कि 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी कर ली गई है. वहीं दो मामलों की जांच में देरी विदेशी संस्थाओं की ओर से हो रही लेट-लतीफी के चलते हो रही है. Adani Group को क्लीन चिट देने के साथ ही सेबी ने हिंडनबर्ग पर कई तरह के आरोप भी लगाए थे. इसमें हिंडनबर्ग और नाथन एंडरसन द्वारा सेबी के कोड ऑफ कंडक्ट फॉर रिसर्च एनालिस्ट रेगुलेशंस का उल्लंघन करना भी शामिल था.
कंपनी को कारण बताओ नोटिस
SEBI ने हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा था कि अडानी ग्रुप को लेकर जारी रिपोर्ट ने निवेशकों को गुमराह किया और मनगढ़ंत बयानों के जरिए एक कहानी गढ़ी, जिससे कंपनियों के शेयरों की कीमतों में ज्यादा से ज्यादा गिरावट आई. नोटिस में मार्केट रेगुलेटर ने कहा कि शॉर्ट सेलर फर्म ने ये रिपोर्ट जारी कर स्थानीय सुरक्षा कानूनों का भी उल्लंघन किया है, क्योंकि ये भारत में एक रिसर्च फर्म के रूप में लिस्टेड भी नहीं थी.
हिंडनबर्ग की दिखी बौखलाहट
मार्केट रेग्युलेटर सेबी पर अपनी रिपोर्ट जारी करने से पहले भी हिंडनबर्ग की बौखलाहट देखने को मिली थी. जब SEBI के नोटिस पर हिंडनबर्ग ने इसे निवेशकों को सावधान करने वालों को चुप कराने वाला काम करार दिया था. यही नहीं 1 जुलाई 2024 को अपनी वेबसाइट पर एक पोस्ट के जरिए हिंडनबर्ग की ओर से ये भी कहा गया था कि भारतीय शेयर बाजार में सोर्सेज से चर्चा के बाद हमारी समझ यह है कि सेबी ने अडानी ग्रुप को गुप्त सहायता देना जनवरी 2023 की रिपोर्ट पब्लिश होने के तुरंत बाद शुरू कर दिया था.
क्या कह रहे हैं मार्केट एक्सपर्ट्स?
मार्केट एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर भी हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट को बदले की भावना करार दे रहे हैं, क्योंकि Adani-Hindenburg Case में आए तमाम उतार-चढ़ावों के बाद आखिरकार अब अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर जोरदार वापसी कर चुके हैं. उनका मानना है कि Indian Stock Market अब रफ्तार पकड़ रहा है और इसे अस्थिर करने का भी ये प्रयास हो सकता है. भारत में रजिस्टर्ड न होने के चलते हिंडनबर्ग यहां पर कानूनी लड़ाई नहीं लड़ सकता और इसके चलते एक बार फिर अडानी ग्रुप से संबंधों का हवाला देकर अब सेबी को निशाना बनाया गया है.