रियासी, कठुआ के बाद डोडा…एक महीने में 12 जवान और 9 नागरिक शहीद, आतंकियों के टारगेट पर अब जम्मू के इलाके क्यों?
Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं फिर से तेजी से बढ़ने लगी हैं. कुछ दिनों पहले कठुआ में आतंकी हमले में 5 जवान शहीद हुए थे. वहीं अब डोडा जिले में सोमवार रात को सुरक्षाबलों की आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ हो गई, जिसमें एक अधिकारी समेत पांच जवान शहीद हो गए हैं. फिलहाल, सुरक्षाबलों ने इलाके को घेर लिया है और तलाशी अभियान चलाया जा रहा है.
जम्मू-कश्मीर में पिछले एक महीने में आतंकी वारदातों में तेजी से इजाफा हुआ है. पिछले दिनों में आतंकियों ने सुरक्षाबलों और आम नागरिकों को निशाना बनाकर 7 बड़ी वारदातों को अंजाम दिया है, जिसमें 12 जवान शहीद हुए हैं और 9 आम नागरिकों की जान गई है. विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियों के बीच जम्मू-कश्मीर में बढ़ती आतंकी वारदातें आतंकियों के नापाक मंसूबे जाहिर करती हैं. पिछली कुछ वारदातें जम्मू इलाके में हुई हैं. ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि आतंकी संगठनों के निशाने पर अब घाटी नहीं बल्कि जम्मू क्यों है.
यह भी पढ़ें- UP News: योगी सरकार का बड़ा फैसला, शिक्षकों के डिजिटल अटेंडेंस पर 2 महीने के लिए लगी रोक
जम्मू में क्यों बढ़ी आतंकी वारदातें?
पीओके का एक हिस्सा पीर पंजाल से जुड़ा हुआ है, जो जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के लिए एक आसान रास्ता हो जाता है. घने जंगल और पहाड़ी इलाके आतंकियों को छिपने और सुरक्षाबलों से बचने में मदद करते हैं. वहीं कुछ लोकल लोगों की मदद से आतंकवादियों को सेना की गतिविधियों की जानकारी मिल जाती है. जंगली इलाकों में सड़कें कम हैं और कई जगहों तक पैदल ही पहुंचा जा सकता है, जिससे आतंकवादियों को घेराबंदी से बचने में मदद मिलती है. वहीं घाटी में भारी सुरक्षा के कारण आतंकी वहां वारदातों को अंजाम नहीं दे पा रहे तो जम्मू के घने जंगलों से सटे इलाकों में छिपकर आसपास के इलाकों में दशहत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें- UP News: योगी सरकार का बड़ा फैसला, शिक्षकों के डिजिटल अटेंडेंस पर 2 महीने के लिए लगी रोक
9 जून को रियासी में तीर्थयात्रियों से भरी बस पर आतंकियों ने हमला किया था, जिसमें 9 लोग मारे गए थे. इसके बाद आतंकियों ने 11 जुलाई को कठुआ में सेना की गाड़ी पर हमला किया था. इसमें 5 जवान शहीद हो गए थे. पांचों जवान उत्तराखंड के रहने वाले थे. वहीं 6 जुलाई को कुलगाम में दो अलग-अलग मुठभेड़ में 2 जवान शहीद हो गए थे. वहीं इस मुठभेड़ के दौरान सेना ने 6 आतंकियों को भी ढेर किया था. इसके अलावा 10 जुलाई को नौशेरा में आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की थी जो सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दी थी.