जम्मू कश्मीर: आतंकी हमले में पिता-भाई की मौत, अब BJP ने इस सीट से बनाया उम्मीदवार, जानें कौन हैं शगुन परिहार

Shagun Parihar: अनिल परिहार किश्तवाड़ की राजनीति में तब भी एक्टिव थे, जब आतंकवाद जम्मू-कश्मीर में चरम-सीमा पर था. बीजेपी के नेताओं को जब नब्बे के दशक में जब डोडा बचाओ आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किया गया था, तब भी अनिल परिहार बीजेपी से जुड़े हुए थे.
Shagun Parihar

Shagun Parihar: बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर चुनाव के लिए जारी की उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट में शगुन परिहार के नाम का ऐलान किया है. शगुन परिहार किश्तवाड़ विधानसभा से बीजेपी के प्रत्याशी बनाई गई हैं. बीजेपी द्वारा जारी की गई पहली लिस्ट में शगुन परिहार एकमात्र महिला प्रत्याशी हैं. शगुन परिहार के पिता और चाचा की आतंकियों ने साल 2018 में गोली मारकर हत्या कर दी थी. अनिल परिहार और अजीत परिहार की एक नवंबर 2018 को दुकान से लौटते समय आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. किश्तवाड़ में अनिल परिहार की गिनती बीजेपी के दबंग नेताओं में होती थी. उन्होंने 370 के खिलाफ भी आवाज उठाई थी.

टिकट मिलने के बाद न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में शगुन परिहार ने बीजेपी सेंट्रल और स्टेट लीडरशिप का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि वो पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि किश्तवाड़ के लोग उन्हें समर्थन देंगे और खुले दिल से अपनाएं. ये इलेक्शन सिर्फ शगुन परिवार का नहीं, अजित परिहार या अनिल परिहार का नहीं, उन तमाम शहीदों के परिवारों का है, जिन्होंने देश में अमन के लिए बलिदान दिया. ये चुनाव उन तमाम किश्तवाड़ के लोगों का है, जिन्हें यहां अमन और भाईचारा चाहिए.

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“पार्टी और संगठन के लोग ही लड़वाएंगे चुनाव”

तैयारियों के सवाल पर उन्होंने कहा कि बीजेपी ने उनपर विश्वास जताया है, पार्टी का संगठन और पार्टी के लोग ही उन्हें चुनाव लड़वाएंगे. पिता और चाचा की हत्या के सवाल पर शगुन परिवार भावुक हो गईं. उन्होंने कहा कि जो हमने उनके लिए सोचा था, वो आज हो रहा है. हमें हमेशा संगठन का साथ उस पेड़ की तरह रहा, जिसने हर धूप-बारिश और अला-बला को टाल दिया. हमारी पार्टी के नेताओं ने हमारे पापा औऱ चाचा के जाने के बाद हमेशा हमारा ध्यान रखा.

कौन हैं शगुन परिहार?

शगुन परिहार किश्तवाड़ में बीजेपी के दबंग नेता माने जाने वाले अनिल परिहार की भतीजी हैं. जिस समय अनिल परिहार की हत्या हुई थी, तब वह जम्मू-कश्मीर बीजेपी के स्टेट सेक्रेटरी थे. परिहार ब्रदर्स की हत्या के बाद किश्तवाड़ में तनाव को देखते हुए कर्फ्यू लगा दिया गया था. परिहार ब्रदर्स की हत्या जम्मू-कश्मीर पंचायत चुनाव से पहले की गई थी. अनिल परिहार और अजीत परिहार के पिता सेवा राम परिहार भी बीजेपी से जुड़े हुए थे. किश्तवाड़ इलाके में अनिल परिहार का प्रभाव माना जात था. कहा जाता है कि अनिल परिहार का किश्तवाड़ के मुसलमानों के बीच भी उनका अच्छा खासा समर्थन था.

आतंकी हमले में गई पिता और भाई की जान

शगुन परिहार के पिता और भाई की हत्या टप्पल गली स्थित उनकी स्टेशनरी की दुकान से लौटते समय की गई थी. वह अपने घर पहुंचने ही वाले थे, जब आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी. अनिल परिहार की मौके पर ही मौत हो गई जबकि अजित परिहार का निधन अस्पताल ले जाते समय हुआ. अनिल परिहार की गिनती उस समय बीजेपी के सीनियर नेताओं में होती थी. जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ से उन्हें सुरक्षा भी दी गई थी लेकिन घटना के समय उनका PSO उनके साथ नहीं था.

अनिल परिहार किश्तवाड़ की राजनीति में तब भी एक्टिव थे, जब आतंकवाद जम्मू-कश्मीर में चरम-सीमा पर था. बीजेपी के नेताओं को जब नब्बे के दशक में जब डोडा बचाओ आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किया गया था, तब भी अनिल परिहार बीजेपी से जुड़े हुए थे. उन्हें केंद्रीय मंत्री जितेंद्र परिहार और किश्तवाड़ विधायक सुनील शर्मा का करीबी माना जाता था.

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