कर्नाटक में बने प्रोडक्ट्स पर कन्नड़ में करनी होगी लेबलिंग, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का बड़ा फैसला

मुख्यमंत्री ने कहा कि वे अपने कार्यकाल के दौरान कन्नड़ भाषा को किसी भी प्रकार की अपमान का शिकार नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा,"कर्नाटक में ऐसे हालात बन गए हैं कि कन्नड़ की रक्षा के लिए एक समिति की आवश्यकता है."
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया

Karnataka: कर्नाटक सरकार ने कन्नड़ भाषा को और भी प्रोत्साहन देने का संकल्प लिया है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कर्नाटक राज्य स्थापना दिवस के मौके पर घोषणा की कि अब से कर्नाटक में निर्मित सभी उत्पादों पर कन्नड़ में लेबलिंग की जाएगी. उनका मानना है कि इस कदम से न केवल कन्नड़ भाषा का विकास होगा, बल्कि कर्नाटक की सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूती मिलेगी.

कर्नड़ भाषियों के लिए गर्व का विषय: सीएम सिद्धारमैया

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में कर्नाटक में उत्पादित सामानों की पैकेजिंग पर केवल अंग्रेजी भाषा में जानकारी होती है. लेकिन अब, पैकेजिंग पर कन्नड़ में भी उत्पादों के नाम और विवरण लिखे जाएंगे. यह न केवल कर्नड़ भाषियों के लिए गर्व का विषय होगा, बल्कि गैर-कन्नड़ भाषियों के लिए भी कन्नड़ सीखने का एक अवसर बनेगा.

कन्नड़ संग्रहालय का निर्माण

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा की है. उन्होंने कहा कि पुराने मैसूर जिला आयुक्त कार्यालय में एक कन्नड़ संग्रहालय स्थापित किया जाएगा. इसे अटारा कचेरी के नाम से भी जाना जाता है, यह संग्रहालय कन्नड़ भाषा और संस्कृति के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा.

सीएम ने लिया कन्नड़ की रक्षा का संकल्प

मुख्यमंत्री ने कहा कि वे अपने कार्यकाल के दौरान कन्नड़ भाषा को किसी भी प्रकार की अपमान का शिकार नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा,”कर्नाटक में ऐसे हालात बन गए हैं कि कन्नड़ की रक्षा के लिए एक समिति की आवश्यकता है.” उन्होंने कन्नड़ विकास प्राधिकरण की सराहना की और सभी से अपील की कि वे अपनी मातृभाषा को न भूलें, भले ही वे दूसरी भाषाएं भी सीखें.

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सोशल मीडिया पर चेतावनी

सिद्धारमैया ने सोशल मीडिया पर कन्नड़ भाषा के प्रति अपमानजनक टिप्पणियों के खिलाफ सख्त चेतावनी भी दी. उन्होंने कहा कि इस तरह के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. कर्नाटक सरकार का यह कदम न केवल कन्नड़ भाषा को बढ़ावा देने के लिए है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आंदोलन की शुरुआत भी है.

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