Kolkata Under Water Metro: कोलकाता के अंडर वाटर मेट्रो की जानें खासियत, कितना आया खर्च, 13 साल के दौरान आई ये चुनौतियां
Kolkata Under Water Metro: पीएम नरेंद्र मोदी बुधवार को कोलकाता में देश की पहली अंडर वाटर मेट्रो का उद्घाटन करेंगे. ये मेट्रो कोलकाता में हुगली नदी के नीचे से होकर गई है. ये कोलकाता मेट्रो के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर का हिस्सा है. भारत में किसी बड़ी नदी के नीचे ये पहली सुरंग होगी जिसके अंदर से मेट्रो गुजरेगी. हुगली नदी के नीचे ये मेट्रो 45 सेकेंड में करीब 520 मीटर की दूरी तय करेगी.
कोलकाता मेट्रो के लिए तैयारी की गई ये सुरंग हुगली नदी के करीब 26 मीटर नीचे है. इस सुरंग और मेट्रो को तैयार करने के लिए 2009 से ही अलग-अलग कंपनियों के साथ कांट्रैक्ट किया जा रहा था. इसका काम साल 2010 में शुरू किया गया. इस कांट्रैक्ट के दौरान कंपनी के लिए सबसे बड़ी चुनौती हावड़ा ब्रिज के नीचे हुगली नदी में सुरंग बनाना था. 520 मीटर की इस सुरंग को बनाने में करीब 13 साल लगे.
सुरंग बनाने में आई चुनौती
इससे बनाने के दौरान वायर प्रूफिंग करना सबसे बड़ी चुनौती रही. टनल नदी से केवल 26 मीटर ही नीचे है ऐसे में उसमें एक बूंद पानी नहीं जाएगा ये सुनिश्चित करना कंपनी के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी. ये काम अफकॉन्स कंपनी ने रुसी कंपनी ट्रांसटोनेल्ट्रॉय के साथ मिलकर किया. यह टनल भूकंप के झटके भी सह सहता है. ये टनल देश का सबसे गहरा टनल है. इसपर बने कुल 12 स्टेशनों में आधे अंडर ग्राउंड है.
पानी के नीचे बनी इस सुरंग में मेट्र की स्पीड करीब 80 किलोमीटर प्रति घंटे रहने की संभावना है. इस मेट्रो को बनाने में करीब 120 करोड़ रुपए का खर्च आया है. मेट्रो का हावड़ा स्टेशन करीब 33 मीटर तक गहरा है. वहीं दिल्ली मेट्रो का हौज खाज स्टेशन 29 मीटर तक गहरा है. गौरतलब है कि देश की सबसे पहले कोलकाता में ही मेट्रो चली थी. कोलकाता मेट्रो की शुरूआत 1984 में की गई थी. अब इस अंडर वाटर मेट्रो की तुलना यूरोस्टार से हो रही है. ये मेट्रो लंदन और पेरिस को जोड़ती है.