गेमचेंजर बन सकती है ‘लखपति दीदी योजना’! क्या लोकसभा चुनाव में इस स्कीम ने कर दी BJP की राह आसान?
Lakhpat Didi Scheme: लोकसभा चुनाव में क्या लखपति दीदी योजना गेम चेंजर साबित हो सकती है? क्या इस योजना ने बीजेपी की राह आसान कर दी है? दरअसल, इस योजना के बारे में पीएम मोदी ने लाल किला से जिक्र किया था. यह एक ट्रेनिंग प्रोग्राम है, इसके तहत महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें पैसा कमाना सिखाया जाता है. पीएम मोदी के इस अभियान के बाद लखपति दीदी योजना को लेकर स्वयंसहायता समूह की महिलाओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. सियासी जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इस योजना का फायदा मिल सकता है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने देश की तीन करोड़ महिलाओं को “लखपति दीदी” बनाने का संकल्प लिया है और दावा किया कि महिलाओं का कल्याण उनकी सरकार के लिए प्राथमिकता है. महिलाओं में अब लखपति दीदी बनने की ललक देखी जा रही है. लखनऊ में महिलाओं को लखपति दीदी बनाने की ट्रेनिंग सेंटर शुरुआत हुई है. इससे सीख कर महिलाएं अपना काम कर सकती है. अब लखपति दीदी से सीख लेकर अन्य महिलाएं भी आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं. ऐसे ही एक सिलाई प्रशिक्षण केंद्र में आई महिलाएं न सिर्फ खास साड़ियों में दिखीं. बल्कि उनका कहना था कि वो पीएम मोदी का धन्यवाद देने के लिए इस खास परिधान में आई हैं.
क्या है लखपति दीदी योजना ?
राजस्थान में भाजपा सरकार द्वारा 23 दिसंबर, 2023 को शुरू की गई. लखपति दीदी योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है और उन्हें लखपति बनाया जा रहा है. यह योजना महिलाओं को आंगनवाड़ी दीदी, बैंक वाली दीदी और दवा वाली दीदी जैसे स्वयं सहायता समूहों में शामिल करती है. उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए उपकरण प्रदान करती है ताकि वे प्रति वर्ष कम से कम 1 लाख रुपये की स्थायी आय अर्जित कर सकें.
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लखपति दीदी योजना का उद्देश्य
यह योजना महिलाओं को वित्तीय बाधाओं से मुक्त होकर, अपना व्यवसाय शुरू करने और बढ़ाने के लिए सशक्त बनाती है. सरकार का लक्ष्य भारत भर के गांवों में तीन करोड़ ‘लखपति दीदी’बनाना है, और राजस्थान राज्य में 11.24 लाख महिलाओं को लाभान्वित करना है.
तीन गुना बढ़ी एसएचजी से जुड़ी महिलाओं की आमदनी
एसबीआई की रिपोर्ट से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2019 के मुकाबले वित्त वर्ष 2024 (2023-24) में एसएचजी से जुड़ी महिलाओं की आमदनी तीन गुना बढ़ी हैं. इस अवधि में ग्रामीण क्षेत्रों में 2.8 गुना, अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में 3.2 गुना, शहरी क्षेत्रों में 4.6 गुना और मेट्रो शहरों मे 3.62 गुना ज्यादा आमदनी होने लगी है। रिपोर्ट में आमदनी की राशि नहीं बताई गई है। इस रिपोर्ट को सभी एसएचजी के तहत खोले गए बैंक खाते में जमा होने वाली राशि के आधार पर तैयार किया गया है।