बलिया, मुरादाबाद और बिजनौर की सीटों पर फंसा पेंच? जानें कांग्रेस-सपा के दावे कितने मजबूत
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं. एक तरफ, बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए अपना कुनबा बढ़ाने की कोशिश में है तो दूसरी तरफ, विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के लिए सियासी समीकरण आसान नहीं नजर रहा है. कहते हैं दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है…लेकिन कांग्रेस के लिए इसी उत्तर प्रदेश में चुनौतियां बहुत हैं और लोकसभा चुनाव 2024 में अगर पार्टी जीत के दावे कर रही है तो इन चुनौतियों से उसे पार पाना होगा. यहां बात हो रही है लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीटों को लेकर फंसे पेंच पर… दरअसल, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस के लिए यूपी में 11 सीटें छोड़ने का ऐलान किया था लेकिन कांग्रेस की तरफ से बयानबाजी शुरू हो गई थी. कांग्रेस 20 सीटों पर दावा ठोकने लगी थी. ऐसे में दोनों तरफ से जारी बयानबाजी के इस सिलसिले के बीच अखिलेश ने कांग्रेस को 17 सीटों का ऑफर दिया है, लेकिन दोनों दलों के बीच बात अभी भी अंतिम रूप नहीं ले सकी है. इसी बीच खबर ये भी है कि कांग्रेस और सपा के बीच यूपी की तीन सीटों पर पेंच फंस रहा है.
तीनों सीटों पर कांग्रेस का दावा कितना मजूबत
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यूपी की बलिया, मुरादाबाद और बिजनौर सीट को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच खींचतान चल रही है. कांग्रेस इन तीनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है लेकिन सपा ये सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है. बता दें कि मुरादाबाद से अभी सपा के एसटी हसन सांसद हैं. 2019 में यहां से कांग्रेस ने इमरान प्रतापगढ़ी को उम्मीदवार बनाया था जो तीसरे स्थान पर रहे थे और 60 हजार वोट पा सके थे, जबकि एसटी हसन ने करीब 6.5 लाख वोट हासिल किए थे. दूसरे स्थान पर यहां से 5.51 लाख वोटों के साथ भाजपा के कुंवर सर्वेश सिंह थे. ऐसे में अखिलेश अपनी सीट नहीं छोड़ना चाहेंगे.
बात करें बिजनौर की तो, यहां से बसपा के मलूक नागर सांसद हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा का बसपा के साथ गठबंधन था और यहां से बसपा ने मलूक नागर को उम्मीदवार बनाया था. हालांकि, चुनाव बाद ही ये गठबंधन टूट गया था और अब अखिलेश यादव इस सीट पर सपा का उम्मीदवार उतारना चाहते हैं. इस सीट पर कांग्रेस की स्थिति की बात करें तो बसपा छोड़कर आए नसीमुद्दीन सिद्दकी को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया था, जो केवल 25 हजार वोट जुटा सके थे. ऐसे में कांग्रेस के लिए समाजवादी पार्टी को बिजनौर की सीट के लिए मनाना आसान नहीं नजर आ रहा है.
तीसरी सीट बलिया की है, जहां से कभी सपा के चार-चार मंत्री राज्य सरकार में हुआ करते थे और इस जिले में समाजवादी पार्टी का अच्छा खासा वोट बैंक भी रहा है. कांग्रेस के लिए यहां भी मुश्किलें कम नहीं हैं क्योंकि बलिया में कांग्रेस के लिए मजबूत उम्मीदवार देना ही पहली चुनौती हो सकती है. दूसरी तरफ, 2019 में गठबंधन के तहत ये सीट सपा के खाते में थी और ऐन वक्त पर सपा ने यहां से सनातन पांडेय को अपना उम्मीदवार बना दिया था. सनातन पांडेय को आखिरी वक्त में भले ही सपा ने उम्मीदवार बनाया था लेकिन अखिलेश यादव का ब्राह्मण चेहरे को उतारने का दांव हवा-हवाई नहीं था. सनातन पांडेय ने बीजेपी के वीरेंद्र सिंह मस्त को कड़ी टक्कर दी और 4.5 लाख वोट हासिल कर 15 हजार के अंतर से चुनाव जीतने से चूक गए थे. इस नतीजे को देखने के बाद भले ही कहा जाए कि सपा को यहां हार मिली है लेकिन समाजवादी पार्टी इस सीट पर 2024 में सबकुछ झोंक देना चाहती है. ऐसे में जहां कांग्रेस बलिया में एक अदद उम्मीदवार की तलाश में है, वहां सपा ये सीट समझौते में छोड़ना नहीं चाहेगी.
सपा की तरफ से आया बयान
इन तीन सीटों को लेकर मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि सपा-कांग्रेस के बीच बात नहीं बन पाई है. वहीं समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज सिंंह काका इस मुद्दे पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बयानों का हवाला देते नजर आए. विस्तार न्यूज से बात करते हुए मनोज सिंह काका ने कहा कि दोनों दलों के बीच जिन तीन सीटों पर पेंच फंसने की बातें मीडिया में आ रही हैं, वे उड़ती-उड़ती ही खबरें हैं. उनसे पूछा गया कि बिजनौर, बलिया और मुरादाबाद की सीटों को लेकर कांग्रेस के दावे की खबरें मीडिया में आ रही हैं. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी बातचीत चल रही है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि केवल सीटों पर उम्मीदवार उतारना भर नहीं है, सीटों पर चुनाव लड़ना और चुनाव जीतना अलग-अलग बातें हैं. दोनों दलों के बीच कहां बात अटकी हुई है, इस पर मनोज काका ने खुलकर कुछ नहीं कहा.
अखिलेश के भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने पर सस्पेंस
इसके पहले, सोमवार को अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग पर बयान दिया था. अखिलेश यादव ने कहा था कि दोनों दलों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है और अभी भी बातचीत चल रही है, सूचियां उधर से आई और इधर से भी गईं, जिस समय सीटों का बंटवारा हो जाएगा समाजवादी पार्टी कांग्रेस की न्याय यात्रा में शामिल हो जाएगी. एक तरफ कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग पर बातें भी हो रही हैं तो दूसरी तरफ, सपा ने 11 सीटों के लिए उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर कांग्रेस पर दबाव और भी बढ़ा दिया है. अखिलेश की इस ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ के बीच राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ यूपी से गुजर रही है और इस यात्रा में सपा प्रमुख के शामिल होने पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है.