‘INDIA’ Vs NDA: लोकसभा चुनाव में किन राज्यों में आमने-सामने की टक्कर, कौन कहां मजबूत, यहां देखें

Lok Sabha Election 2024: इलेक्शन कमीशन द्वारा तारीखों के ऐलान के बाद लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. इस बार एक तरफ बीजेपी नीत एनडीए है, तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन इंडिया चुनावी लड़ाई के लिए तैयार है.
Lok Sabha Election 2024

2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन

Lok Sabha Election 2024: इलेक्शन कमीशन द्वारा तारीखों के ऐलान के बाद लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. इस बार एक तरफ बीजेपी नीत एनडीए है, तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन इंडिया चुनावी लड़ाई के लिए तैयार है. देश के अलग-अलग राज्यों में  बीजेपी को टक्कर देने के लिए इस बार विपक्ष कुनबा एकजुट हो चुका है. ऐसे में विपक्ष का दावा है कि इस बार उन्हें फायदा मिल सकता है. लेकिन दलों के बीच बने गठबंधन और असल में उससे बनने वाले जमीनी समीकरण कुछ अलग होते हैं. ऐसें में एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन की इस चुनावी लड़ाई को समझना चाहिए.

2014 लोकसभा चुनाव के बाद से ही उत्तर भारत में बीजेपी का पलड़ा भारी है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात कुछ ऐसे राज्य हैं जहां सीधे तौर पर कोई भी बीजेपी टक्कर देने की स्थिति में नहीं है. लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल जरूर एकजुट हुए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत अभी भी बीजेपी के पाले में दिख रही है.

क्या कहता है उत्तर प्रदेश का समीकरण?

लोकसभा सीटों के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य  उत्तर प्रदेश में 80 सीटें हैं. यहां एक तरफ विपक्षी गठबंधन, तो दूसरी ओर बसपा एकला चलो की राह पर चुनावी मैदान में हैं. ऐसे में जाटव और मुस्लिम वोटों में विभाजन होना तय माना जा रहा है. हालांकि अभी ये कहना मुश्किल है कि इसका कितना फायदा बीजेपी को मिल सकता है. सपा PDA फॉर्मूले पर चुनावी मैदान में आगे बढ़ रही है. उसे पिछड़ों का वोट चाहिए, दलित साथ आने चाहिएं और मुस्लिमों को वो अपने कोर वोटर मान ही रही है. लेकिन यहां पिछड़े और दलितों वोटबैंक में ही बीजेपी सेंधमारी की तैयारी में है. इसके ऊपर जयंत चौधरी के साथ आ जाने से पश्चिमी यूपी में भी बीजेपी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है.

मध्य प्रदेश में बीजेपी-कांग्रेस की चुनौतियां

मध्य प्रदेश के वर्तमान सियासी स्थिति को देखें तो यहां कांग्रेस और बीजेपी का सीधा मुकाबला है. हालांकि यहां दोनों पार्टियों के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं. एक तरफ बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान की वजह से मोहन यादव को सीएम बना रखा है तो कांग्रेस ने भी कमलनाथ की जगह जीतू पटवारी को राज्य की कमान सौंप दी है. ऐसे में दो नए और युवा चेहरे अब मध्य प्रदेश की आने वाली सियासत को तय करने वाले हैं.

उत्तराखंड में मजबूत दिख रही बीजेपी 

उत्तराखंड की मौजूदा सियासी नतीजे को देखें तो यहां बीजेपी का पला कुछ भारी दिखाई देता है. हाल ही में पुष्कर सिंह धामी सरकार ने राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू  कर दिया है. इसके बाद से पार्टी को यहां पर महिलाओं के साथ मिलने की उम्मीद है. इसके ऊपर ऑल वेदर चार धाम सड़क भी उसके पक्ष में माहौल बनाती दिख रही है. बीजेपी दावा कर रही है कि यहां पर वो एक बार फिर पांचों लोकसभा सीटें जीतने वाली है.  इंडिया गठबंधन की अभी तक कोई खास रणनीति उत्तराखंड में दिखाई नहीं दे रही है.

गुजरात में बीजेपी के पक्ष में जनता 

गुजरात वो राज्य है जहां से पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह आते हैं. ऐसे में यहां तो जनता का माहौल बीजेपी के पक्ष में जाता दिख रहा है. गुजरात विधानसभा चुनाव जो समर्थन बीजेपी को मिला था, उसे देखते हुए यहीं कहा जा सकता है कि लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को समर्थन मिलने जा रहा है. यहां पर कांग्रेस ही मुख्य विपक्षी पार्टी है और आम आदमी पार्टी अभी भी सिर्फ एक विकल्प बनने की कोशिश कर रही है. लेकिन ज्यादातर सीटों पर बीजेपी की स्पष्ट बढ़त दिखाई पड़ रही है. बीजेपी का वोट शेयर वैसे भी पिछले लोकसभा चुनाव में 60 फीसदी से भी ज्यादा चला गया था. इस बार पार्टी का टारगेट हर सीट पांच लांख के अंतर से जीतना है.

बीजेपी के लिए आसान नहीं होने वाला है राजस्थान 

राजस्थान में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के साथ भगवाधारी पार्टी ने राज्य की सत्ता में वापसी की है. लेकिन इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी के तीन सांसदों को हार का सामना करना पड़ा है. इस राज्य में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए इस बार यहां चुनाव जीतना आसान नहीं होने वाला है. तमाम ओपियनियन पोल भी बता रहे हैं कि तीन से पांच सीटों पर इंडिया गठबंधन को इस बार बढ़त मिल सकती है. इसके ऊपर जिस तरह से भजनलाल सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वो केंद्र से चल रही है, उस नेरेटिव से पार पाना भी एक चुनौती है.

बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकता है विपक्षी गठबंधन 

राजधानी दिल्ली में इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के एक साथ चुनाव में हैं, जिसका सीधा नुकसान बीजेपी को हो सकता है. लेकिन बीजेपी को भरोसा है कि पीएम मोदी के चेहरे के सहारे वो ऐसे सभी समीकरणों को विफल कर देगी. इसके ऊपर उसे 60 फीसदी से ज्यादा वोटशेयर की उम्मीद है. इसके ऊपर 7 में से 6 सीटों पर क्योंकि बीजेपी ने अपने उम्मीववार ही बदल दिए हैं, ऐसे में एंटी इनकमबेंसी को भी काबू में करने की एक कवायद दिख रही है.

इन राज्यों में मजबूत है इंडिया गठबंधन

उत्तर भारत में मजबूत स्थिति में दिख रही बीजेपी के सामने दक्षिण भारत में कई चुनौतियां हैं. केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ये वो राज्य हैं जहां बीजेपी अपने दम पर मजबूत नहीं दिख रही है. उसकी कोशिश जरूर है कि इस बार केरल में खाता खोला जाए और तमिलनाडु में भी कुछ सीटों पर अच्छा प्रदर्शन हो, लेकिन जमीन पर ज्यादा समीकरण बदलते दिख नहीं रहे हैं. तमाम सर्वे भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं. बीजेपी के लिए एक उम्मीद की किरण इस बार आंध्र प्रदेश से निकल रही है जहां पर उसने चंद्रबाबू नायडू की पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है. इसके अलावा कर्नाटक में जेडीएस से हाथ मिलाकर वो सभी सीटों पर मजबूत दावेदारी पेश कर रही है.

लेकिन तमिलनाडु में इंडिया की तरफ से डीएमके, केरल में अपने दम पर यूडीएफ और तेलंगाना में कांग्रेस काफी मजबूत दिखाई दे रही है. ऐसे में यहां से ज्यादा से ज्यादा सीटें इंडिया गठबंधन अपनी झोली में कर सकती है.

बिहार में नीतीश के कारण बदला समीकरण 

नीतीश कुमार के महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल होने से बिहार का समीकरण बदल गया है. यहां पहले इंडिया गठबंधन ज्यादा मजबूत बताया जा रहा था, लेकिन जब नीतीश के एनडीए के साथ आने से फिर कुर्मी, कुशवाहा और अति पिछड़ा वोट एनडीए के साथ जा सकता है. दूसरी तरफ महागठबंधन मुस्लिम और यादव वोटों पर ज्यादा निर्भर है.

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