राज ठाकरे के लिए ‘करो या मरो’ की लड़ाई बना महाराष्ट्र चुनाव, क्या पार्टी की साख को बचा पाएंगे MNS प्रमुख?

Maharashtra Assembly Election 2024: पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव काफी दिलचस्प है क्योंकि इस बार राज्य में 6 बड़ी पार्टियां चुनावी दंगल में हिस्सा ले रही हैं.
Maharashtra Assembly Election 2024

राज ठाकरे, (मनसे प्रमुख)

Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है. जहां महायुति और महा विकास अघाड़ी (MVA) के बीच सीधा मुकाबला है. हालांकि, इस चुनाव में छोटे राजनीतिक दल जैसे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) भी कुछ जगहों पर पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ रहे हैं. मनसे प्रमुख राज ठाकरे के लिए यह करो या मरो का चुनाव है. महाराष्ट्र के मुद्दों की राजनीति करने के लिए पहचाने जाने वाले राज ठाकरे को अपनी पार्टी को जिंदा रखना है क्योंकि पिछले कुछ चुनावों में मनसे का ग्राफ लगातार गिरा है.

पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव काफी दिलचस्प है क्योंकि इस बार राज्य में 6 बड़ी पार्टियां चुनावी दंगल में हिस्सा ले रही हैं. ऐसे में बहुमत हासिल करने के लिए महायुति और MVA के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है. महाराष्ट्र में सत्ताधारी महायुति गठबंधन में बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल है. जबकि विपक्षी एमवीए में शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद पवार गुट) और कांग्रेस शामिल हैं.

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पहले चुनाव में 13 सीटों पर जीती मनसे

मराठी गौरव की बात करने वाले राज ठाकरे ने 2009 के विधानसभा चुनाव में पहली बार अपनी छाप तब छोड़ी थी जब अपने पहले ही चुनाव में मनसे ने विधानसभा की 13 सीटें जीत ली थी. लेकिन इसके बाद के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मनसे का वोट प्रतिशत लगातार गिरता गया. 2019 के विधानसभा चुनाव में मनसे का सिर्फ एक विधायक ही चुनाव जीत सका था.

राज ठाकरे एक वक्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर समर्थक माने जाते थे लेकिन बाद में वह मोदी और बीजेपी के आलोचक बन गए. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान तो राज ठाकरे ने कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए रैलियां भी की थीं लेकिन कांग्रेस-एनसीपी को इसका कोई फायदा नहीं हुआ था.

मराठी मानुष से हिंदुत्व का सफर

राज ठाकरे मराठी मानुष से आगे बढ़ते हुए हिंदुत्व की राजनीति के रास्ते तक पहुंचे हैं. पिछले कुछ सालों में उन्होंने महाराष्ट्र में मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा का आह्वान करने की अपील की थी. राज ठाकरे ने हिंदू समुदाय और अपनी पार्टी के नेताओं से कहा था कि वे हनुमान चालीसा बजाएं. राज ठाकरे शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे की राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी बनना चाहते थे. इसीलिए जब शिवसेना की कमान उद्धव ठाकरे के हाथ में आई तो राज ठाकरे ने अपनी नई पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बना ली.

राज ठाकरे ने पिछले कुछ सालों में महाराष्ट्र में नाकों को टोल फ्री करने को लेकर आवाज उठाई थी. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जब एकनाथ शिंदे की सरकार ने इसका ऐलान किया तो इससे मनसे की छवि बदली है. टोल फीस हटाने की वकालत करने वाले लोगों के बीच मनसे की छवि आम आदमी के समर्थक वाली बनी थी.

राज ठाकरे के सामने बड़ी चुनौती

माहिम विधानसभा सीट से अपने बेटे को चुनाव मैदान में उतारकर राज ठाकरे ने एक नई शुरुआत की है. अमित ठाकरे का मुकाबला एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के विधायक सदा सरवणकर और शिवसेना (यूबीटी) के महेश सावंत से है. राज ठाकरे के सामने बड़ी चुनौती अपनी पार्टी को जिंदा रखने के साथ ही अपने बेटे को राजनीति में स्थापित करने की भी है.

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