भारतीय वायुसेना पर Cyber Attack की बड़ी कोशिश नाकाम, सेंसिटिव डेटा पर थी हैकर्स की नजर
Cyber Attack on Indian Air Force: हाल में कुछ साइबर हैकर्स ने भारतीय वायुसेना को निशाना बनाया था. जानकारी के अनुसार, वायुसेना के इंटर्नल कंप्यूटर सिस्टम हैक करके सेंसिटिव डेटा को हैकर्स चुराना चाहते थे. हालांकि ये अभी तक स्पष्ट नहीं है कि सेना पर यह हमला कब किया गया और हमलावर कौन थे, लेकिन इस हमले में उनका तरीका पता चल गया है.
फाइटर जेट की खरीद के नाम पर बनाया निशाना
अब तक मिली जानकारी के अनुसार हैकर्स ने गूगल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज Golang की मदद से हैकिंग का प्रयास किया. हालांकि प्रोग्रामिंग लैंग्वेज से बनाए गए ओपन-सोर्स मालवेयर से हैकर्स वायुसेना को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाए. इस पूरे प्रकरण में अमेरिका की एक साइबर थ्रेट इंटेलिजेंस कंपनी Cyble ने खुलासा किया है कि उसे 17 जनवरी को गो स्टीलर मालवेयर का वैरिएंट मिला था. यही मालवेयर गिटहब पर सार्वजनिक रूप से मौजूद था. इसी मालवेयर की सहायता से भारतीय वायुसेना के कंप्यूटरों को निशाना बनाया गया था.
Su-30 MKI मल्टीरोल फाइटर जेट की खरीद के नाम पर हैकर्स ने भारतीय वायुसेना के सैन्यकर्मियों से संपर्क किया. हैकर्स ने Su-30_Aircraft Procurement के नाम से जिप फाइल बनाकर सेना के सिस्टमों को टारगेट किया था. इस पूरे मामले में हैकर्स ने मालवेयर को क्लाउड स्टोरेज प्रोवाइडर Oshi प्लेटफॉर्म पर होस्ट करके वायु सेना के अधिकारियों को मेल भेजकर टारगेट किया था.
यह भी पढ़ें: Uniform Civil Code: सरकार को मिल UCC का ड्राफ्ट, लागू होते ही पति-पत्नी से लेकर लिव-इन के लिए बदल जाएंगे ये नियम
बेहद खतरनाक है गूगल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज गोलैंग
मालवेयर को इस प्रकार डिजाइन किया गया था कि जैसे ही यूजर जिप फाइल को डाउनलोड करके एक्सट्रैक्ट करता, उसके पीछे छिपा ISO फाइल सेंसिटिव डेटा को चुराना शुरू कर देता और चोरी किए गए डेटा को कम्यूनिकेशन प्लेटफॉर्म Slack के जरिए डिकोड कर लिया जाता. इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल अक्सर कई संस्थान सामान्य कामों के लिए करते हैं. इस साइबर हमले में हैकर्स ने गो स्टीलर नाम के एक वेरिएंट का इस्तेमाल किया गया. ताकि मालवेयर गूगल क्रोम जैसे ब्राउजर पर आसानी रन कर सके. यह मालवेयर गिटहब पर इसे कुकी एंड लॉगिन्स स्टीलर फॉर फायरफॉक्स प्लस क्रोम के नाम से दिखा रहा था.
हाल के दिनों में गूगल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज गोलैंग का इस्तेमाल बहुत सारे साइबर अपराधी कर रहे हैं. अमेरिकी टेक्नोलॉजी फर्म F5 के मुताबिक गोलैंग का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. पिछले साल जनवरी में फिलिपींस पुलिस के एंटी-साइबर क्राइम ग्रुप ने एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें लिखा था कि गोलैंग स्टीलर मालवेयर बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. यह मालवेयर किसी संस्थान की जानकारी चुराने में सक्षम हैं. इसलिए इनसे सतर्क रहने की जरूरत है.