सोनिया गांधी से लंबी दूरी, प्रियंका-राहुल फोन तक ही सीमित…क्या अब BJP की ओर रुख करेंगे मणिशंकर अय्यर? खुद ही बताया प्लान
Mani Shankar Aiyar On Sonia Gandhi: कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता मणिशंकर अय्यर इन दिनों एक बार फिर चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. इस बार चर्चा का कारण गांधी परिवार के साथ रिश्तों पर खुलासा करना और बीजेपी में जाने की अफवाह पर जवाब है. अय्यर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने राजनीतिक जीवन की अनकही बातें साझा की, जो पार्टी के भीतर उनके कश्मकश, सियासी समीकरण और उनकी व्यक्तिगत चुनौतियों से जुड़ी हुई हैं.
गांधी परिवार से दूरी का दर्द
मणिशंकर अय्यर ने जो सबसे बड़ा बयान दिया, वह था उनके और गांधी परिवार के रिश्तों पर. अय्यर ने खुद कहा कि पिछले दस सालों में उन्हें सोनिया गांधी से मिलने का कोई अवसर नहीं मिला. राहुल गांधी से सार्थक संवाद का मौका सिर्फ एक बार ही मिला, और प्रियंका गांधी से उनके संवाद केवल फोन कॉल्स तक सीमित रहे. अय्यर ने कहा, “मेरी राजनीतिक यात्रा गांधी परिवार ने बनाई और समाप्त भी उसी परिवार ने की.”
मणिशंकर अय्यर ने सुनाया किस्सा
मणिशंकर अय्यर ने प्रियंका गांधी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया कि एक बार उन्होंने प्रियंका को फोन कर राहुल गांधी को शुभकामनाएं भेजी थीं. वहीं, सोनिया गांधी से जुड़ा एक और दिलचस्प किस्सा सुनाते हुए अय्यर ने कहा, “मैंने सोनिया गांधी से मेरी क्रिसमस कहा, तो उन्होंने जवाब दिया, ‘मैं ईसाई नहीं हूं.” अय्यर ने बताया कि वह भी किसी खास धर्म में विश्वास नहीं करते, लेकिन सभी धर्मों का समान सम्मान करते हैं. यह घटना बताती है कि अय्यर और गांधी परिवार के बीच रिश्ते कभी उतने सहज नहीं रहे जितना कि पार्टी के अंदर होने की उम्मीद थी.
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कांग्रेस की 2014 की हार और प्रणब मुखर्जी का सुझाव
2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की शर्मनाक हार का जिक्र करते हुए अय्यर ने बताया कि पार्टी उस समय और ज्यादा नुकसान से बच सकती थी. उनका मानना था कि अगर उस वक्त मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति और प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री बना दिया जाता, तो कांग्रेस की हार इतनी बड़ी नहीं होती. अय्यर ने कहा कि सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के स्वास्थ्य के कारण पार्टी नेतृत्व कमजोर हो गया था, जिससे पार्टी को एक गंभीर झटका लगा.
कांग्रेस के भीतर कलह पर अय्यर ने क्या कहा?
कांग्रेस पार्टी के अंदर चल रहे असंतोष पर भी अय्यर ने अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि पार्टी को ‘झुककर जीतना’ सीखना होगा. अय्यर के अनुसार, कांग्रेस को अपनी नेतृत्व की महत्वाकांक्षा को छोड़कर सभी सहयोगी दलों का सम्मान करना चाहिए और स्थानीय मुद्दों पर विवाद से बचना चाहिए. उन्होंने इंडिया गठबंधन को एक सही कदम बताया, जिसका उद्देश्य विपक्षी एकता को मजबूती देना है.
हरशद मेहता घोटाले का अनुभव
अय्यर ने 1990 के दशक में हुए हरशद मेहता घोटाले पर भी बातचीत की. अय्यर ने कहा कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से मुलाकात की. इसके बाद जब वो डॉ. मनमोहन सिंह के घर पहुंचे तो उन्होंने इस विषय पर बातचीत करने से रोक दिया. मनमोहन सिंह ने संजीदगी से कहा कि उन्हें शक है कि उनके घर में कोई जासूसी कर रहा है.
बीजेपी में जाने का सवाल
जब उनसे यह पूछा गया कि क्या वह कभी बीजेपी में शामिल होंगे, तो मणिशंकर अय्यर ने स्पष्ट रूप से जवाब दिया. उन्होंने कहा, “मैं कांग्रेस का सदस्य हूं और रहूंगा. मैं कभी बीजेपी में नहीं जाऊंगा.” भले ही अय्यर का गांधी परिवार से संबंध ठीक न हो, लेकिन वह कांग्रेस से अपनी राजनीतिक यात्रा को खत्म करने के बजाय बीजेपी में जाने का ख्याल भी नहीं रख रहे हैं.