“सलमान खुर्शीद की पत्नी ने सरकारी पैसे का फायदे के लिए किया इस्तेमाल”, ED ने लगाया बड़ा आरोप, जब्त की लाखों की संपत्ति

जांच एजेंसी ने यह कार्रवाई डॉक्टर जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट में घपले से जुड़ा है. इसमें ट्रस्ट के पैसे का निजी तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप है.
Salman Khurshid and his wife

सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी

Money Laundering Case: ED ने कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी लुइस खुर्शीद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. ED ने लुइस और अन्य आरोपियों 45.92 लाख कीमत की संपत्ति जब्त की है. जांच एजेंसी ने यह कार्रवाई डॉक्टर जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट में घपले से जुड़ा है. इसमें ट्रस्ट के पैसे का निजी तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप है.

17 मामलों में चार्जशीट दायर हुई थी

रिपोर्ट के मुताबिक, ED ने यूपी के फरुखाबाद में 29.51 लाख रुपये और 4 बैंक अकाउंट में 16.41 लाख रुपये की संपत्ति जब्त की है. इस मामले में यूपी पुलिस ने लुइस खुर्शीद समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ 17 मामलों में चार्जशीट दायर की थी. इसके बाद मामले को टेकओवर कर ED ने PMLA के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी.

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क्या है मामला?

साल 2009-2010 की बात है. उस समय डॉक्टर जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट के द्वारा करीब 17 कैंप लगाकर दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग उपकरण वितरण से जुड़े मामले में फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगा था. हालांकि, ये मामला साल 2017 में सामने आया. इस मामले में कई केस दर्ज हुए थे. उस वक्त ये आरोप लगा था कि काफी दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग उपकरण वितरण किया ही नहीं गया था, लेकिन उसका बिल का भुगतान करवा लिया गया था. लिहाजा इस मामले में फर्रुखाबाद के भोजीपुर थाने में इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी.

सलमान खुर्शीद की पत्नी का कैसे जुड़ा नाम?

रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय ने दिव्यांगों को उपकरण बांटने के लिए कायमगंज की पूर्व विधायक लुईस खुर्शीद की देखरेख में संचालित डॉक्टर जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट फर्रुखाबाद को 71.50 लाख रुपये अनुदान दिया था. सभी जिलों में कैंप लगाकर दिव्यांगों को निशुल्क उपकरण वितरित कर टेस्ट चेक रिपोर्ट भी मंत्रालय को भेजी जानी थी.

ट्रस्ट ने बरेली जिला ब्लाक भोजीपुरा में भी कैंप लगाकर 21 दिव्यांगों को उपकरण वितरित करने की टेस्ट रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी थी. मंत्रालय ने जांच कराई तो पता चला कि भोजीपुरा में कैंप ही नहीं लगाया गया था. जबकि रिपोर्ट पर जिला विकलांग कल्याण अधिकारी, खंड विकास अधिकारी भोजीपुरा के फर्जी हस्ताक्षर कर जाली मुहर लगाई गई थी.

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