MP के जंगलों की अब स्मार्ट हाथों में होगी पहरेदारी, कोने-कोने की खबर होगी अपडेट, 2024 के अंत तक हर वनकर्मी को मिलेगा SmartPhone
MP News: प्रदेश के वनों को सुरक्षित करने वनकर्मियों को स्मार्ट बनाया जा रहा है. इसके लिए हर वनकर्मी के हाथ में अ वन विभाग स्मार्ट मोबाइल देने जा रहा है. पहले चरण में ढाई हजार वनकर्मियों को मोबाइल दिए जाएंगे. इसके लिए खरीदी भी हो चुकी है. दूसरे चरण में करीब 5 हजार वन कर्मियों के लिए मोबाइल खरीदे जा रहे हैं.
इससे वन विभाग के अधिकारियों को जंगल में होने वाली हर घटना की जानकारी तत्काल मिल जाएगी. प्रदेश में बढ़ रहे अतिक्रमण, शिकार, अवैध कटाई सहित अन्य वन अपराधों को रोकने के लिए वन विभाग वनकर्मियों को मजबूत करने में जुटा है. इसके तहत पहले चरण में जबलपुर खंडवा और शिवपरी फॉरेस्ट सर्किल के ढाई हजार वनकर्मियों को मोबाइल दिए जा रहे हैं. इसके बाद बचे हुए वनकर्मियों को स्मार्ट फोन दिए जाएंगे. इसके लिए वन विभाग करीब 8 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है. हालांकि वन विभाग की इस खरीदी पर सवाल उठ रहे हैं.
स्मार्ट फोन में रहेंगी वन विभाग के सभी एप्लीकेशन
स्मार्ट मोबाइल को खरीदने की कीमत करीब 7 करोड़ 50 लाख रुपए बताई जा रही है. खर्च इससे ज्यादा भी हो सकता है. बीट गार्ड को दिए जाने वाले स्मार्ट फोन में वन विभाग के सभी एप्लीकेशन रहेंगे. इनमें बीट गार्ड जानकारी भर सकेंगे. स्मार्ट फोन में संयुक्त वन प्रबंधन की निगरानी प्रणाली, ग्रीन इंडिया मिशन, वृक्षारोपण निगरानी प्रणाली, वर्किंग प्लन लाइब्रेरी, हितग्राही प्रबंधन प्रणाली, रोपणी प्रबंधन सूचना प्रणाली सहित अन्य एप मोबाइल में रहेंगे. इनमें चाही गई जानकारी बीट गार्ड को अपडेट करनी होगी. यह जानकारी वन भवन में बैठे अधिकारियों के पास तत्काल पहुंच जाएगी.
फिजूलखर्ची बात कर लौटाया था प्रस्ताव
जानकारों का कहना है कि आज के दौर में हर वनकर्मी के पास स्मार्ट फोन है. ऐसे में वनकर्मियों के पास उपलब्ध स्मार्ट फोन पर ही वन विभाग की सभी एप्लीकेशन को अपलोड किया जा सकता है. इस तरह से मोबाइल फोन खरीदकर वनकर्मियों को देना फिजूलखर्ची है. सूत्रों के मुताबिक वन विभाग द्वारा वनकर्मियों के लिए खरीदे जा रहे एक मोबाइल की कीमत करीब 10 हजार रुपए है. वन विभाग द्वारा 7500 मोबाइल खरीदे जा रहे हैं.
कम नहीं हो रहे वन अपराध और अतिक्रमण
प्रदेश के जंगल में न तो वन अपराध कम हो रहे हैं और न ही अतिक्रमण रुक रहे हैं. अतिक्रमण की वजह से घना वन क्षेत्र भी कम हो रहा है. टाइगर स्टेट मप्र में बाघों के शिकार के मामले भी हर साल बढ़ रहे हैं. इस साल अब तक प्रदेश जंगल में 26 बाघों की मौत हो चुकी है. इनमें ज्यादातर बाघों की मौत आपसी संघर्ष में हुई है। वहीं हर साल प्रदेश में 50 हजार से ज्यादा वन अपराध के मामले सामने आते हैं.