NCERT ने ‘बाबरी मस्जिद’ को किताब से हटाया, बताया ‘3 गुंबद वाला ढांचा’, जानें और क्या कुछ बदला

नई किताब में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी जिक्र है जिसमें विवादित जमीन हिंदू पक्ष को देने की बात कही थी.

NCERT ने ‘बाबरी मस्जिद’ को किताब से हटाया

Babri Masjid: नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की नई किताब में बड़ा बदलाव किया है. इसमें अयोध्या विवाद को छोटा करके चार से केवल दो पेज पर समेट दिया गया है. साथ ही बाबरी मस्जिद को ‘तीन गुंबद वाला ढांचा’ करार दिया है.

जानकारी के मुताबिक, नई किताब से अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद हुई घटनाओं पर बीजेपी ने खेद व्यक्त किया था उसे हटा दिया गया है. इसके अलावा अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के 5-0 के निर्णय का जिक्र भी किया गया है.

जानें और क्या कुछ बदला

पुरानी किताब के अंदर फैजाबाद (अब अयोध्या) जिला कोर्ट के आदेश पर फरवरी 1986 में मस्जिद के ताले खोले जाने के बाद सांप्रदायिक तनाव, सोमनाथ से अयोध्या तक आयोजित रथ यात्रा, मस्जिद का विध्वंस और उसके बाद जनवरी 1993 में हुई सांप्रदायिक हिंसा का जिक्र था, लेकिन नई किताब में यह सब बातें गायब हैं. बता दें कि नई किताब में शीर्ष न्यायालय के उस निर्णय का जिक्र है जिसमें विवादित जमीन हिंदू पक्ष को देने की बात कही थी. 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के 5-0 के निर्णय का जिक्र किया गया है. जिसमें मंदिर बनाने के लिए एक ट्रस्ट को जमीन सौंपने का आदेश दिया गया है.

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पुरानी सामाजिक विज्ञान की किताब में बाबरी मस्जिद को मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाक़ी द्वारा निर्मित मस्जिद के रूप में पेश किया गया है. वहीं नई किताब में इसे भगवान राम के जन्मस्थान पर 1528 में निर्मित एक तीन गुंबद वाला ढांचा के रूप में उल्लेखित किया गया है.

‘मंदिर तोड़कर बनाया गया था तीन गुंबद वाला ढांचा’

नई किताब में लिखा गया है कि अयोध्या विवाद कई दशकों तक चला क्योंकि ऐसा माना जाता था कि तीन गुंबद वाला ढांचा भगवान श्री राम के जन्मस्थान पर एक मंदिर को तोड़ने के बाद बनाया गया था. इसके अलावा पुरानी किताब के अंदर बाबरी विध्वंस व उसके बाद की घटनाओं से जुड़े अखबारों में छपे लेख की तस्वीरें थीं, लेकिन नई किताब में उन तस्वीरों को हटा दिया गया है. वहीं, पुरानी किताब में बाबरी विध्वंस के बाद कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त करने से जुड़ा एक लेख भी शामिल था, उसे भी नई किताब से हटा दिया गया है.

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