“जहां दूसरों से उम्मीद खत्म हो जाती है, वहीं से मोदी की गारंटी शुरू होती है”, गुजरात से पूरे देश को PM मोदी ने दी 48000 करोड़ से अधिक की सौगात

पीएम मोदी ने कहा, “एक समय था, जब देश के सारे प्रमुख कार्यक्रम दिल्ली में ही होकर रह जाते थे. मैंने भारत सरकार को दिल्ली से बाहर निकालकर देश के कोने-कोने में पहुंचा दिया."
पीएम मोदी

पीएम मोदी ( बीजेपी- ट्वीटर)

PM Modi: पीएम मोदी दो दिवसीय यात्रा पर गुजरात में हैं. यहां उन्होंने दिन में कई सारी विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया. इसके बाद पीएम मोदी ने द्वारका में भगवान द्वारकाधीश की पूजा-अर्चना की. इसके बाद पीएम मोदी ने राज्य के राजकोट शहर में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “आज राजकोट से-एम्स राजकोट, एम्स रायबरेली, एम्स मंगलगिरी, एम्स भटिंडा और एम्स कल्याणी का लोकार्पण हुआ है. विकसित होता भारत ऐसे ही तेज गति से काम कर रहा है.”

“जो 6-7 दशकों में नहीं हुआ, उससे कई गुना तेजी…”

पीएम मोदी ने आगे कहा, “आजादी के 50 वर्षों तक देश में सिर्फ एक एम्स था और वो भी दिल्ली में.आजादी के 7 दशकों में सिर्फ 7 एम्स को मंजूरी दी गई लेकिन वे भी कभी पूरे नहीं बन पाए. आज बीते 10 दिन में 7 नए एम्स का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है. इसलिए मैं कहता हूं कि जो 6-7 दशकों में नहीं हुआ, उससे कई गुना तेजी से हम देश का विकास करके जनता के चरणों में समर्पित कर रहे हैं. आज 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 200 से अधिक हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का भी शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है.”

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भारत सरकार को देश के कोने-कोने में पहुंचाया: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “एक समय था, जब देश के सारे प्रमुख कार्यक्रम दिल्ली में ही होकर रह जाते थे. मैंने भारत सरकार को दिल्ली से बाहर निकालकर देश के कोने-कोने में पहुंचा दिया. आज का यह कार्यक्रम भी इसी बात का गवाह है. आज इस एक कार्यक्रम से देश के अनेकों शहरों में विकास कार्यों का, लोकार्पण का और शिलान्यास होना. एक नई परंपरा को आगे बढ़ा रहा है.” पीएम मोदी ने कहा कि जहां दूसरों से उम्मीद खत्म हो जाती है, वहीं से मोदी की गारंटी शुरू होती है.”

पीएम मोदी ने कहा, “आज मुझे अद्भूत आध्यात्मिक साधना का लाभ भी मिला है. प्राचीन द्वारका जिसके बारे में कहते हैं कि उसे खुद भगवान श्रीकृष्ण ने बसाया था, आज वो समंदर में डूब गई है और आज मेरा सौभाग्य था कि समंदर के भीतर जाकर मुझे उस समुद्र में डूब चुकी द्वारका का दर्शन करने का और अवशेषों को स्पर्श करके जीवन को धन्य बनाने का, पूजा करने का सौभाग्य मिला.”

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