Haldwani Violence: दूसरी बार सुलग उठा हल्द्वानी का Banbhoolpura, पहली बार रेलवे की जमीन पर मचा था बवाल
Haldwani Violence: गुरुवार, 8 फरवरी की शाम को उत्तराखंड के हल्द्वानी में दंगाईयों ने जमकर उपद्रव मचाया. हल्द्वानी के बनभूलपुरा(Banbhoolpura) इलाके में पुलिस थाने को घेरकर दंगाईयों ने हमला किया और थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों को जिंदा जलाने की भी कोशिश की. अतिक्रमण हटाने गई पुलिस प्रशासन पर भीड़ आक्रोशित हो गई. इस दौरान जमकर पथराव और पेट्रोल बम से हमले किए गए. दंगाईयों ने कई वाहनों में आग लगा दी. इस हमले में 5 लोगों की मौत हो गई है. इस घटना ने एक साल पहले हुए बवाल की याद दिला दी.
मामला पहुंचा था सुप्रीम कोर्ट तक
उत्तराखंड में हल्द्वानी के बनभूलपुरा में एक साल पहले भी कोर्ट के आदेश पर प्रदर्शन तेज हो गया था. लोगों का विरोध प्रदर्शन इस कदर उग्र हुआ कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा. मामले की सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन के फैसले पर अस्थायी रोक लगा थी. दरअसल नैनीताल हाई कोर्ट ने गौला नदी में हो रहे अवैध खनन के एक मामले में सुनवाई करते हुए बनभूलपुरा में रेलवे की जमीन से अवैध निर्माण हटाने का आदेश दिया था.
रेलवे ने कब्जा हटाने का था दिया निर्देश
कोर्ट के इस फैसले के बाद रेलवे ने समाचार पत्रों के माध्यम से नोटिस जारी कर अतिक्रमणकारियों को एक हफ्ते के अंदर कब्जा हटाने का निर्देश दिया. रेलवे और जिला प्रशासन ने ऐसा न करने पर सभी मकानों को तोड़ने की चेतावनी जारी की. इसके बाद लोगों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के आसपास का विवादित इलाका करीब 2 किमी से भी ज्यादा के क्षेत्र में फैला है.
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रेलवे के पास कई प्रमाण
रेलवे का दावा है कि गफ्फूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर के इलाके उसकी जमीन पर बसाए गए हैं. रेलवे और प्रशासन का कहना है कि यहां रहने वाले लोगों ने पहले जमीन पर कब्जा किया और फिर पक्के मकान बनाए. रेलवे यह भी दावा करता है कि उसके पास इस इलाके के पुराने नक्शे, वर्ष 1959 का नोटिफिकेशन, वर्ष 1971 का रेवेन्यू रिकॉर्ड और 2017 की सर्वे रिपोर्ट भी है. इसी को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट ने 20 दिसंबर 2022 को अतिक्रमणकारियों को अवैध कब्जा हटाने का निर्देश दिया.
लोगों का दावा कैसे बने सरकारी स्कूल और बैंक
वहीं रेलवे और प्रशासन का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि नैनीतील हाईकोर्ट में 29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण का मामला था, लेकिन अब रेलवे 78 एकड़ से अधिक की जमीन पर दावा कर रहा है. लोग राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं की सरकारी जमीन को मंजूरी देनी चाहिए. बताते चलें कि रेलवे के दावे वाली जमीन पर 50 हजार लोगों की बस्ती है और बनभूलपुरा में 4 हजार से ज्यादा परिवार हैं. वहीं इस क्षेत्र में 4 सरकारी स्कूल, एक बैंक और दो ओवरहेड पानी के टैंक भी बने हैं. लोगों ने दावा किया कि अगर यह जमीन अवैध है तो सरकारी स्कूल, बैंक और पानी के टंकी कैसे बनाए गए?