Lok Sabha: डिप्टी स्पीकर पद को लेकर राजनाथ सिंह ने ममता बनर्जी को किया फोन, CM ने रखा अयोध्या के सांसद के नाम का प्रस्ताव

Deputy Speaker Of Lok Sabha: तृणमूल कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ममता बनर्जी ने डिप्टी स्पीकर के पद के लिए समाजवादी पार्टी के सांसद का नाम का प्रस्ताव रखा है.
Deputy Speaker Of Lok Sabha

डिप्टी स्पीकर पद को लेकर राजनाथ सिंह ने ममता बनर्जी को किया फोन

Deputy Speaker Of Lok Sabha: ओम बिरला को एक बार फिर से 18वीं लोकसभा का अध्यक्ष घोषित किया गया है. फिलहाल डिप्टी स्पीकर का पद खाली है. इसी को लेकर बड़ी जानकारी सामने आ रही है. जानकारी के मुताबिक, डिप्टी स्पीकर के पद को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से फोन पर बात की है. तृणमूल कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ममता बनर्जी ने डिप्टी स्पीकर के पद के लिए समाजवादी पार्टी के सांसद का नाम का प्रस्ताव रखा है. ऐसे में ममता बनर्जी के इस कदम से कांग्रेस खेमे में नाराजगी देखी जा सकती है.

कांग्रेस भी मांग रही है डिप्टी स्पीकर का पद

दरअसल, TMC सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बातचीत के दौरान ममता बनर्जी ने फैजाबाद-अयोध्या से नवनिर्वाचित सपा सांसद अवधेश प्रसाद के नाम का प्रस्ताव रखा है. गौरतलब है कि, सदन में डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की परंपरा है. वहीं कांग्रेस की ओर से इस पद की मांग की जा रही है. वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी ने एक गैर कांग्रेसी सांसद के नाम का प्रस्ताव सामने रखा है. ऐसे में अवधेश प्रसाद के नाम का प्रस्ताव मानना भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के लिए मुश्किल हो सकता है. इससे पहले प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को लेकर NDA और INDIA ब्लॉक में ठन गई थी.

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महत्वपूर्ण है विपक्ष के लिए डिप्टी स्पीकर का पद

गौरतलब है कि, परंपरागत रूप से यह पद विपक्ष को ही मिलता है. इसके बाद डिप्टी स्पीकर पद को लेकर सही जानकारी न मिलने पर विपक्ष ने लोकसभा स्पीकर के लिए अपना भी उम्मीदवार मैदान में उतार दिया था. बता दें कि, संविधान का अनुच्छेद 93 लोकसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों के चुनाव का प्रावधान करता है. संविधान के अनुच्छेद 95 के तहत डिप्टी स्पीकर लोकसभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उसके कर्तव्यों का पालन करता है. डिप्टी स्पीकर के पास एक विशेष विशेषाधिकार होता है, जिसके तहत जब भी उसे संसदीय समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाता है, ऐसे में वह खुद ही उसका अध्यक्ष बन जाता है. ऐसे में यह पद विपक्ष के लिए महत्वपूर्ण है.

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