कर्नाटक में शुरू हुआ सियासी खेल, सीएम पद के लिए सिद्धारमैया और शिवकुमार आमने-सामने! कांग्रेस की बढ़ी मुश्किलें
Karnataka Politics: कर्नाटक की राजनीति में एक बार फिर उठा-पटक की स्थिति नजर आ रही है. विधानसभा चुनाव के बाद से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच टकराव जारी है. इसकी वजह यह है कि डीके शिवकुमार की नजर एक बार फिर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की कुर्सी पर है. दूसरी ओर डीके शिवकुमार को चुनौती देने के लिए सिद्धारमैया भी पार्टी में उनके लिए मुसीबतें खड़ी करते नजर आ रहे हैं, जिसके चलते कांग्रेस आलाकमान के लिए कर्नाटक एक बार फिर नई चुनौती बन सकता है.
दरअसल, वोक्कालिगा समुदाय के विश्व वोक्कालिगा महास्थानम के प्रमुख स्वामी चंद्रशेखर ने सिद्धारमैया को सीएम की कुर्सी डीके शिवकुमार को देने की सलाह दे डाली है. उन्होंने यह बयान कैंपा गौड़ा जयंती समारोह में उस समय दिया, जब मंच पर शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों मौजूद थे. दूसरी ओर स्वामी निर्मलानंद ने भी डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की बात कही है.
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संतों की मांग सिद्धारमैया के लिए चुनौतीपूर्ण
बता दें कि कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं और विधानसभा चुनाव के दौरान मठ की ओर से कांग्रेस को खुले तौर पर समर्थन मिला था, और यह भी माना जा रहा है कि ओल्ड मैसुरू इलाके में कांग्रेस को वोट देने की अपील का, पार्टी को बड़ा फायदा हुआ था. ऐसे में वोक्कालिगा समुदाय के संतों द्वारा डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की पैरवी करना, सिद्धारमैया के लिए चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि समुदाय को कांग्रेस का अहम वर्ग माना जा रहा है.
तीन डिप्टी सीएम पद की मांग
दूसरी ओर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी मंत्रियों ने डीके शिवकुमार को झटका देने के कोशिश में बड़ा बयान दिया है. सिद्धारमैया के समर्थक मंत्रियों के केएन राजन्ना, बीजेड जमीर अहमद खान और सतीश जरकीहोली ने तीन डिप्टी सीएम पद की मांग की है. माना जा रहा है कि यह इसलिए किया गया है जिससे डीके शिवकुमार की राजनीतिक पावर को कम किया जा सके और वे सिद्धारमैया को चुनौती न दे सकें.
डीके शिवकुमार के नेतृत्व में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन
डीके शिवकुमार के नेतृत्व में कांग्रेस ने कर्नाटक में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पिछले साल विधानसभा चुनाव में 135 सीटें जीती थीं. वहीं राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की राजनीति में डीके शिवकुमार कांग्रेस के लिए संकटमोचक साबित हुए हैं. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उन्हें कांग्रेस हाई कमान का भी समर्थन प्राप्त है, लेकिन सिद्धारमैया अपनी तरफ से उनके खिलाफ मोर्चा खोले रहे हैं.
तय हुआ था ढ़ाई-ढ़ाई साल का फॉर्मूला
बताया जाता है कि विधानसभा चुनाव के बाद सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला तय हुआ था, लेकिन अभी सरकार बने एक साल ही हुआ है और दोनों दिग्गजों के बीच फिर से अंदरखाने टकराव शुरू हो गया है, जो कि पार्टी के लिए नया सिरदर्द बन सकता है.