सरकार बंद करने जा रही है SGB स्कीम! निवेशकों को लगने वाला है बड़ा झटका

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2015 में शुरू किया गया था. इसके तहत, निवेशक सोने में निवेश कर सकते थे. इसमें निवेश करने पर उन्हें सोने के बाजार भाव के हिसाब से लाभ तो मिलता ही था, साथ ही सरकार उन्हें सालाना 2.5% ब्याज भी देती थी.
SGB Scheme

SGB Scheme

SGB Scheme: सरकार सोने में निवेश करने के लिए चल रही सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) स्कीम को बंद करने पर विचार कर रही है. इसका कारण इस योजना के वित्तपोषण पर बढ़ता खर्च और सोने की बढ़ती कीमतों का प्रभाव है. इस स्कीम के माध्यम से सरकार सोने में निवेश को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही थी, लेकिन अब इसके चलते सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हो रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, सरकार का मानना है कि सोने की बढ़ती कीमतों और इस पर मिलने वाले ब्याज के चलते इस स्कीम को बंद किया जा सकता है. आइए इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं.

क्या है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम ?

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2015 में शुरू किया गया था. इसके तहत, निवेशक सोने में निवेश कर सकते थे. इसमें निवेश करने पर उन्हें सोने के बाजार भाव के हिसाब से लाभ तो मिलता ही था, साथ ही सरकार उन्हें सालाना 2.5% ब्याज भी देती थी. इस स्कीम के जरिए सरकार को यह उद्देश्य था कि लोग सोने में निवेश करें और सोने का भंडारण बढ़े, जिससे देश की आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़े.

यह स्कीम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के माध्यम से जारी की जाती है, इसलिए इसमें निवेशकों को सरकारी गारंटी मिलती है. यह एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता था, क्योंकि सरकार की गारंटी थी और इसके ब्याज दर भी आकर्षक थी.

इस स्कीम से सरकार को क्यों हो रहा है नुकसान?

हालांकि, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम निवेशकों के लिए एक लाभकारी योजना रही है, लेकिन सरकार के लिए यह घाटे का सौदा साबित हो रही है. इस स्कीम की शुरुआत के बाद से सोने की कीमतों में भारी उछाल आया है, जिससे निवेशकों को अधिक रिटर्न मिला है.

उदाहरण के लिए, अगर हम 2015 से अगस्त 2024 तक सोने की कीमतों की बात करें, तो उस दौरान सोने की औसत कीमत में 171% की बढ़त हुई है. इसका मतलब है कि जो लोग इस स्कीम में निवेश कर चुके हैं, उन्हें सोने की कीमतों में वृद्धि का फायदा मिला है. इसके अतिरिक्त, सरकार उन्हें सालाना 2.5% ब्याज भी देती है.

हालांकि, इस लाभ से निवेशकों को फायदा हुआ है, लेकिन सरकार के लिए यह बड़ा खर्च बन गया है. सरकार को इस स्कीम पर रिटर्न के अलावा ब्याज का भी भुगतान करना पड़ता है, जो उसे वित्तीय रूप से नुकसान दे रहा है.

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2025 के बजट में क्या हो सकता है?

क्योंकि सोने की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और इसके साथ ही सरकार को इस स्कीम पर भारी ब्याज देना पड़ रहा है, तो ऐसा माना जा रहा है कि सरकार इस स्कीम के लिए नए आवंटन को बंद कर सकती है. आगामी आम बजट 2025 में इस स्कीम के लिए कम बजट आवंटित किए जाने की संभावना है. इससे यह भी संकेत मिलता है कि सरकार इस स्कीम को समाप्त करने पर विचार कर रही है.

SGB की सफलता

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की शुरुआत से लेकर अब तक इसके तहत निवेशकों को अच्छे रिटर्न मिले हैं. इसने सोने में निवेश को एक आकर्षक विकल्प बना दिया है, खासकर उन लोगों के लिए जो शारीरिक सोने की खरीदारी से बचना चाहते थे.हालांकि, बढ़ती सोने की कीमतें और इसके लिए दिए जाने वाले ब्याज का खर्च सरकार के लिए आर्थिक दबाव का कारण बन गया है. सरकार को इसके लिए बड़ा वित्तीय बोझ उठाना पड़ रहा है, जिससे यह स्कीम लंबे समय में सस्टेनेबल नहीं रही.

क्या निवेशकों को डरने की जरूरत है?

जो लोग सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में निवेश कर चुके हैं, उन्हें अभी किसी भी तात्कालिक नुकसान का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि इस स्कीम के तहत निवेश किए गए बांड की मैच्योरिटी तय है. उदाहरण के लिए, 2015 में शुरू हुई पहली किस्त नवंबर 2023 में मैच्योर हो चुकी है और 2016-17 की सीरीज अगस्त 2024 में मैच्योर होगी. हालांकि, नए निवेशकों के लिए इस स्कीम का भविष्य संदेहास्पद हो सकता है, क्योंकि सरकार इसे बंद करने का विचार कर रही है.

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