Hanuman Jayanti 2025: हजारों श्रद्धालुओं ने लयबद्ध होकर पढ़ा सुंदरकांड

गाजियाबाद के वसुंधरा एक के हिंडन पार्क में हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए और एक साथ सुंदरकांड का पाठ किये. महिलाएं, बच्चे लयवद्ध होकर जैसे पाठ कर रहे थे यह देखकर पूरा इलाका भक्तिमय हो गया.
Hanuman Jayanti 2025

हजारों श्रद्धालुओं ने पढ़ी सुंदरकांड

Hanuman Jayanti 2025: देशभर में आज हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. कोने-कोने में बजरंग बली का जयकारा गूंज रहा है. श्रद्धालु हनुमान मंदिर में माथा टेक रहे है. कहीं कलश यात्रा निकाली जा रही है तो कहीं शोभा यात्रा निकाली गई है. कोलकाता से लेकर लखनऊ, हैदराबाद, पटना और दिल्ली तक पूरे देश में लाखों सनातनी सड़क पर भगवा ध्वज के साथ जुलूस निकाले हैं. दिल्ली के जहांगीरपुरी में कड़ी सुरक्षा के बीच विश्व हिंदू परिषद शोभा यात्रा निकाली. पुलिस ने शर्तों के साथ शोभा यात्रा निकालने की इजाजत दी थी.

गाजियाबाद के वसुंधरा एक के हिंडन पार्क में हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए और एक साथ सुंदरकांड का पाठ किये. महिलाएं, बच्चे लयवद्ध होकर जैसे पाठ कर रहे थे यह देखकर पूरा इलाका भक्तिमय हो गया. श्रद्धालु भावविभोर होकर झूम रहे थे. बच्चों में जिस प्रकार का अनुशासन देखने को मिल रहा था इसे देखकर पूरे गाजियाबाद में इस कार्यक्रम की चर्चा हो रही है.

आचार्य चंदन दूबे ने कहा कि यहां कार्यक्रम शुद्ध आध्यात्मिक होता रहा है. आज पंचग्रही योग के साथ राजयोग बन रहा है. साथ ही चैत्र पूर्णिमा ग्रहों का दुर्लभ संयोग बन रहा है. सुंदरकांड के पाठ से हम सभी ने हनुमान जी से प्रार्थना किया है कि पूरे विश्व पर अपनी कृपा बरसाएं. सभी सुखी और संपन्न बनें. हर प्राकृतिक आपदा से इस पृथ्वी को बचाएं.

इस कार्यक्रम को विशुद्ध आध्यात्मिक बताते हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश सिंह ने कहा कि इस तरह हम अपने जड़ों और संस्कृति से बच्चों को जोड़ने की कोशिश करते हैं. तीव्र वैचारिक भूख, जीवन के अर्थ व उद्देश्य की खोज और रिश्तों से जुड़ाव का मार्ग प्रशस्त करता है हमारा सनातन संस्कृति.

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भंडारे की व्यवस्था में जुटे भक्त आशीष श्रीवास्तव कहते हैं कि मानसिक तनाव, बिखरते रिश्तों को बचाने के लिए अब आध्यात्म ही सहारा है. अखंड पाठ से थोड़े वक्त के लिए ही सही भगवान श्रीराम के आचरण, महाबलि हनुमान के पास अतुलित बल होने के बाद भी संयम की सीख हमारे बच्चों को मिलता है.

गाजियाबाद में इस कार्यक्रम की चर्चा की असली वजह यह है कि यह कार्यक्रम विशुद्ध धार्मिक आयोजन की तरह होता है. युवा, बुजुर्ग, महिलाएं बच्चे सभी अनुशासित होकर सुंदरकांड का पाठ करते हैं.

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